*मन का करघा*
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विचारों का करघा निरंतर चलता ही रहता है
धागों की कसावट विचारों को बल देती है
वह धागा है नई योजनाओं का नई पहल का
जीवन में निरंतर आगे बढ़ते जाने का
अपने मन की उड़ान को नए पंख देने का ।
विचारों के करघे में छुपे हुए हैं कई राज
मौन पर निरंतर चलते हुए दिन -रात
कातते रहते हैं अतीत के धागे से नया भविष्य
और फिर डूब जाते हैं अतीत की यादों में खामोश से
जो कहीं खो गया है जिंदगी की आपाधापी में ।
करघा हमारे मन का चक्र है रंगीला सा
रंग-बिरंगे सपनों को बुनता रहता है
मन के निरंतर बने रहे आनंद के लिए
और न जाने कितनी मुसीबतों से टकराता है
क्षणिक सुख को पाने के लिए उसमें खो जाने के लिए ।
*आभा दवे*