Saturday, 21 September 2019

कविता -मन का करघा /आभा दवे

*मन का करघा*
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विचारों का करघा निरंतर चलता ही रहता है
 धागों की कसावट विचारों को बल देती है
वह धागा है नई योजनाओं का नई पहल का
जीवन में निरंतर आगे बढ़ते जाने का
अपने मन की उड़ान को नए पंख देने का ।

विचारों के करघे में छुपे हुए हैं कई राज
मौन पर निरंतर चलते हुए दिन -रात
कातते रहते हैं अतीत के धागे से नया भविष्य
और फिर डूब जाते हैं अतीत की यादों में खामोश से
जो कहीं खो गया है जिंदगी की आपाधापी में ।

करघा हमारे मन का चक्र है रंगीला सा
रंग-बिरंगे सपनों को बुनता रहता है
मन के निरंतर  बने रहे आनंद के लिए 
और न जाने कितनी मुसीबतों से टकराता है
क्षणिक सुख को पाने के लिए उसमें खो जाने के लिए ।




*आभा दवे*

हाइकु -सजृन पर/आभा दवे

हाइकु -सजृन पर/आभा दवे
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१)प्रभु सृजन

   ये रंगीला संसार 

   सब है माया ।

२)कवि सजृन
 
   प्रकृति सौंदर्य का 

   मन का खेल ।

३)सूफ़ी विचार

   ज्ञान की परख है 

   रहस्यमयी ।

४)दैवी स्वरूप 

   अद्भुत सजृन है 

   कुदरत का ।

५) न्यारा सजृन 

  सम्पूर्ण सृष्टि रूप  

   प्रभु के हाथ ।

आभा दवे 

     

Saturday, 14 September 2019

हाइकु हिंदी दिवस पर /आभा दवे

हाइकु
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१)हिंदी दिवस

  मना रहे शान से 

  खुश है सभी ।


२) भाषा अनेक
 
   रहती मिलकर 

    दिल से जुड़ी ।

३) हिंदी की बिंदी 

    कर रही कमाल 

     गीतों में सजी ।

४) रंग-बिरंगी 

    पताका लिए चली 

    हिंदी मस्तानी ।

५)  झूमे धरती 

   मन मयूर नाचे 

    हिंदी चहके  । 


    आभा दवे