Saturday 14 November 2020

बाल दिवस एवं बाल गीत

 बाल दिवस और बाल गीत

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आज देश के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का जन्मदिन है और इस दिन को हम सभी "बाल दिवस" के रूप में मनाते चले आ रहे है । समय के अनुसार सब कुछ बदल जाता है जो पहले बाल दिवस में एक प्रकार की चहलपहल बच्चों में दिखाई देती थी अब उसमें कमी आ रही है । इस साल तो दीवाली और बाल दिवस एक ही दिन है इस लिए सभी दीपावली मनाने में व्यस्त हैं । साथ ही कोरोना के चलते स्कूलों से भी दूरी बढ़ जाने के कारण वो उत्साह बच्चों में नहीं आ पा रहा जो पहले हुआ करता था । आज के बच्चे पढ़ाई के बोझ के साथ- साथ मोबाइल ,टी.वी . कम्प्यूटर में ज़्यादा व्यस्त हो गये है । मैं बच्चों को  बाल दिवस के उपलक्ष्य में उन गीतों को  बताना चाहती हूँ जिन गीतों को सुनकर मन में विश्वास और देशप्रेम की भावना जाग उठती थी । ईश्वर के सामने सिर श्रध्दा से झुक जाता था । कुछ ख़ास पुराने गीत है जो आज भी सुनो तो मन विश्वास , आस्था और देशप्रेम से भर उठता है -

1)बच्चों तुम तक़दीर हो कल के हिन्दुस्तान की ,बापू के वरदान की नेहरू के अरमान की ।
2)आओ बच्चों तुम्हें दिखाये झाँकी हिन्दुस्तान की ,इस मिट्टी का तिलक करो ,ये धरती है बलिदान की
3)इन्साफ़ की डगर पे बच्चों दिखाओ चल के ,यह देश है तुम्हारा नेता तुम्हीं हो कल के ।
4)सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा ।
5)विजय विश्व तिरंगा प्यारा झंडा उँचा रहे हमारा ।
6)सुन ले बापू ये पैग़ाम मेरी चिट्ठी तेरे नाम ,चिट्ठी में सबसे पहले लिखता तुझको राम राम ।
7)आज का भारत देखने वालों कल का देखना हिन्दुस्तान ,8)ख़ुशियों से सबकी झोली हम भर देंगे देकर मुसकान ,हम बच्चे हिन्दुस्तान के है ।

9)मानचित्र पर कितना सुंदर देश हमारा है ,आओ इसकी सैर करे आँखों का तारा है ।
10)आया छब्बीस जनवरी का दिन रात भी दमकेगी ,गणतंत्र दिवस की बेला ये धरती महकेगी ।
11)हिन्द देश के निवासी हम सब एक है ,रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक है ।
12)हम लाए है तूफ़ान से कश्ती निकाल के ,इस दर्शकों रखना मेरे बच्चों सम्हाल के ।
13)बच्चे में है भगवान बच्चे में है रहमान बच्चा जीसस की जान ,गीता इसमें ,इसमें है क़ुरान ।
14)हे प्रभु आनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए ,शीघ्र सारे दुर्गुणो को दूर हम से कीजिए ।
15)तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो
16)आने वाले कल की तुम तस्वीर हो ,नाज करेगी दुनिया तुम पर दुनिया की तक़दीर हो ।
17)नन्हा मुन्ना राही हूँ देश का सिपाही हूँ ,बोलो मेरे संग जय हिन्द जय हिन्द ।
18)मम्मी मैं तो सीखूँगा गोली चलाना ।
19)जोत से जोत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो ।
20)हम होगे कामयाब एक दिन मन में है विश्वास ,पूरा है विश्वास ।
21)हमको मन की शक्ति देना मन विजय करे ,दूसरों की जय के पहले ख़ुद विजय करे ।
22)बच्चे मन के सच्चे सारी जग की आँखों के तारे ,ये वो नन्हें फूल है जो भगवान को लगते प्यारे ।

और भी बच्चों के कई गीत है जो आज भी सुन कर अच्छे लगते हैं ।

आज के समय में ऐसे गीतों की संख्या न के बराबर है । ये पुराने गीत हमारी अमानत है ,जो हम सब में एक नया विश्वास और जोश भरते है । उन सभी गीतकारों को ,संगीतकारों को , गायक /गायिकाओं को सादर नमन जिन्होंने हमें इतने अच्छे गीत दिए । जो आज भी कर्णप्रिय है ।
बाल दिवस  एवं दीपावली की सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें ।

आभा दवे (14- 11-2020 शनिवार)

Saturday 7 November 2020

दीप ज्योति नमोस्तुते/आभा दवे

 

दीप ज्योति नमोस्तुते

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शुभम करोति कल्याणम

आरोग्यम् धनसंपदा

शत्रु बुद्धि विनाशय 

दीप ज्योति नमोस्तुते।




"हे दीपक ! तुम अपनी ज्योति से हमारा शुभ एवं कल्याण करते हो, तुम हमें आरोग्य देने वाले हो ,हमारी धन, समृद्धि का वर्धन करने वाले हो, हमारी शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाले हो , हम तुम्हारे दीप की ज्योति को नमस्कार करते हैं।" दीप प्रज्वलित कर यह प्रार्थना सदियों से चली आ रही है।


हमारी भारतीय संस्कृति में दीपों का आदिकाल से बड़ा महत्व रहा है। हर प्रकार की मांगलिक कार्यों में दीप जरूर प्रज्वलित किया जाता है और उससे हर शुभ कार्य की शुरुआत होती है। दीए की ज्योति हर शुभ कार्य का संदेश देती है और अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है। संसार के सभी धर्मों में ज्योति या प्रकाश का बहुत महत्व है । हर धर्मों ने इसे अपने -अपने तरीकों से बयां किया है । हमारे आन्तरिक प्रकाश ने ही बाहर के प्रकाश को समझा और जाना ।आन्तरिक प्रकाश से ही ज्ञान-विज्ञान आगे बढ़ा

है और धरती का अंधकार  मिटाने में सफल हुआ है ।


दिवाली का त्यौहार भी इसी तरह का त्यौहार है जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और हमारे जीवन को अंधकार से प्रकाश की राह दिखाता है। वैसे तो हमारे देश में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं पर दिवाली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जिसमें दीए की ज्योति को महत्व दिया जाता है और घर- घर में दीपमालाएँ सजाई जाती हैं। कहते हैं दिवाली का त्यौहार 14 वर्ष वनवास के बाद जब रामचंद्र जी रावण का वध करके सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या लौटे थे तो उनके स्वागत के लिए घर-घर में दीप जलाए गए और नृत्य, संगीत द्वारा खुशी प्रकट की गई थी । तब से यह त्यौहार बड़े उल्लास के साथ हर साल मनाया जाता है। दिवाली का त्यौहार अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। जो हमें यह संदेश देता है कि हमें अपने जीवन में फैले विकारों का नाश करके पवित्रता और शुभकामनाओं के साथ दीपक का उजाला घर -घर तक पहुंचाना चाहिए। अज्ञान के अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से जगमगाना चाहिए । दिवाली में आतिशबाजी करने का भी यही अर्थ है कि हम सब को अंधकार को दूर भगा कर रोशनी को बढ़ाना है और फैले हुए अंधकार को दूर भगाना है।


दिवाली में मिट्टी के दिए जलाने का अर्थ है मिट्टी में निहित प्रकाश को अपने अंदर प्रकट करना और दीए की माटी के अर्थ को समझ कर दीया और बाती के संबंधों के महत्व को समझना उस पर विचार करना । दीए और बाती की लौ हमें जीवन- मरण का अर्थ समझाती है । दिवाली के दीयों  में जीवन का गहन अर्थ छुपा हुआ है। इसलिए दिवाली सभी के संग मिल जुलकर मनाई जाती है।


लक्ष्मी पूजा के बाद अपनी खुशियां दूसरों के साथ बाँट कर मेवे- मिष्ठान  उन घरों तक जरूर पहुँचाना चाहिए जिनके घरों में  गरीबी रुपी अंधकार फैला हुआ है । उनके घरों में भी दीप का उजाला कर इंसानियत का  दीया जरूर जलाना चाहिए । कार्तिक की अमावस की रात को दीपक जलाकर कर  अपनी मंगल कामनाओं को चारों दिशाओं में पहुँचाना चाहिए । यह झिलमिलाता प्रकाश एक नई सृष्टि को जन्म देता है साथ ही  हमारे मन के अंदर भी एक नए उजाले को जन्म देता है जो सद्भावना से जुड़ा होता है इसीलिए इस त्योहार पर लोग आपस में भेदभाव भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं और छोटे- बड़ों के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद  लेते हैं। अपने जीवन में आने वाले प्रकाश के लिए , दूसरों के जीवन में भी खुशियां भरने के लिए । संसार में अपना नाम रोशन करने के लिए जो रोशनी से ही जुड़ा हुआ है ।


दिवाली का त्यौहार अनेकता में एकता का त्यौहार है । जो पूरे विश्व में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है  और अपनी रोशनी से धरा के अंधकार को मिटा कर उजाला फैलाता है । लोगों के दिलों की दूरियों को करीब लाता है । जो हमें अपने जीवन में शुभ तत्व धारण करने की प्रेरणा देता है और कहता है-


एक दीया ऐसा भी जलाओ

घर-घर उसकी ज्योत जलाओ

मन के अंधकार में दीप जला

उसकी रोशनी जग में फैलाओ।



आभा दवे

मुंबई


मुहूर्त कविता/आभा दवे



मुहूर्त /आभा दवे 
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हरेक  त्यौहार का 
होता है मुहूर्त
लोग इस मुहूर्त में 
जिंदगी के महत्त्वपूर्ण काम 
को करने में लग जाते हैं ।

इंतजार करते हैं उस
शुभ घड़ी का जो
जीवन को खुशियों से भर दे
सारी विघ्न बाधाएं दूर कर दे
और वे गुजार पाएँ सुखी जिंदगी।

पर क्या वाकई उस मुहूर्त का
शुभ फल हरेक  को मिलता है?
उस मुहूर्त की घड़ी में अघटित 
कुछ नहीं होता है?
इतिहास गवाह हरेक मुहूर्त का
जहाँ छल कपट से छला गया आदमी
और आज भी मुहूर्त के नाम पर ठगा जा रहा।

आभा दवे