Sunday 19 November 2017

मुस्कुराहट कविता

     मुस्कुराहट
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नये फूल खिलते ही

मन भर उठता है आनंद से

माली की मेहनत रंग लाई

जो सींचा था जल तन मन से ।

जब नन्हें पौधे पेड़ बन जाते है

तो वो पंक्षी का बसेरा बन जाते है

फूल और फल से भरे ये पेड़

खुद अपनी कहानी कह जाते है ।

न चख पाते है खुद का एक भी फल

औरों को देकर सदा मुस्कुराते है

पथिक को देते छाया हरदम

खुद ओले की मार को सह जाते है ।

सिखा जाते है जीवन जीना

दूसरों के सुख में ही खुश रहना

मुस्कुराहट की चादर ओढ़

दुखों को छुपा लेना ।



आभा दवे (19-11-2017)



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