Thursday 4 July 2019

कविता -हाँ, मै नहीं कमाती

*हाँ, मैं नहीं कमाती* /आभा दवे 
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हाँ ,मैं नहीं कमाती 
पर अपने हिस्से का
खाती हूँ ।

जब हुआ था तुम्हारा जन्म
तब मेरी तकदीर लिख रहे थे देवता
तभी जोड़ी थी तुम संग मेरी डोरी
और लिख दिया था मैं बनूँ
तुम्हारे घर की रानी ।

घर -बार रिश्तेदार डाल दिए थे मेरी
झोली में और उसके बदले में
मेरे हिस्से का सुख भी जोड़ दिया
तुम्हारी तकदीर में 
जब तक रहेगा तुम्हारा साथ
करना पड़ेगा ये *विश्वास*
घर की धुरी कहलाती हूँ
सारे काम निभातीं हूँ
हाँ, मैं नहीं कमाती
पर अपने हिस्से का खाती हूँ

तन-मन सब कुछ किया समर्पित
सुख -दुख में न कभी घबराती हूँ
*विश्वास* अटल मन में रखकर
अपना धर्म सदा  निभाती हूँ
और सदा मुस्कुराती हूँ
तभी तो देवी कहलाती हूँ
हाँ ,मैं नहीं कमाती 
अपने हिस्से का खाती हूँ ।

उन सभी महिलाओं के लिए जो पूरा जीवन अपने परिवार को समर्पित कर देती है ।




आभा दवे 22-5-2018 (मंगलवार )

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