Friday 16 August 2019

कविता -आशा /आभा दवे


*आशा*
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मन में उमंग जगाए 
सपने नए दिखाए
दूर खड़ी निहारें सबको
वही आशा कहलाए ।

काँटे पथ पर लाख हो
उम्मीद न बुझने पाए 
दीप की लौ  जैसे जले 
वह भी आस दिखाए ।

भटके न राह पथिक
कदम -कदम पर जोश
हौसला बढ़ाती जाए
अटल विश्वास जगाए

आशा की किरण सबके
मन को छू कर उत्साह जगाए ।

*आभा दवे*



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