Tuesday 28 April 2020

धड़कन कविता / आभा दवे

धड़कन
-------------
दिल की धड़कन अपने होने का
एहसास कराती है
रोज़ ही यह अपनों से मुलाकात 
कराती है 
जग की हसीन दुनिया इसी से है
जीवन के सब नाते रिश्ते इसी से है
खुशी और दुख के पल इसी से है
जीवन के रंगीन सपने इसी से है
दिल में जब तक  ये धड़कन है
जीवन में एक आस है विश्वास है
अपनी मंजिल को पाने की चाह है
अपने कदमों को आगे बढ़ाने का 
उत्साह है
दिल की इस धड़कन को धड़कने दो
अपने  स्वास्थ्य का ध्यान रख कर
अपने जीवन को फूलों सा महकने दो ।


*आभा दवे*
28-4-2020
मंगलवार 

Sunday 19 April 2020

हाइकु (Haiku ) आभा दवे

हाइकु
----------

1) जीवन मोल
    जानते हैं जो लोग
    पालते धर्म ।

2) उम्मीद रखें
    नए उजाले की ही
     दूर कष्ट हों ।

3) आशा जगाए
   जीवन में उत्साह
     दुख भगाए ।

4) प्यास अधूरी
     है अपनों से दूरी
      आस न छूटी ।

5)अपनों संग
  दिन गुजर रहे
  शुक्र , प्रभु का । 

आभा दवे
6-4-2020 Monday

Saturday 4 April 2020

क्षणिकाएँ/आभा दवे

क्षणिकाएँ-/आभा दवे
-------------

1) क्षण
     -----
जीने के लिए कुछ क्षण भी काफी है
चींटियों को मिलता  जीवन छोटा 
पर जीने की आस में जुटाती 
रहती खाने का  सामान  है ।                   

2) सूर्य
   ------
सूर्य के निकलते ही
भरोसा होता आज का
और उसके डूबते ही    
एहसास होता आने वाले 
कल का ।

3) छाया 
    --------

पथिक  को मिलती छांव
पेड़ की जब ,वह विश्राम पाता
जीवन का सच्चा सुख  
तभी छाया में नजर आता ।

4) शाम
    -------
    जीवन की शाम आते ही
    जिंदगी बचपन की यादों  
    में खो जाती
   चूल्हे की रोटी और माँ
   बहुत याद आती ।

5) चाँदनी
-  - -------
चाँद के निकलते ही
चाँदनी धरती पर बिखर जाती 
नौका विहार करते लोग
नाविक के चेहरे पर चाँदनी खिल जाती ।

6)आकाश
   ----------

फैला नीला वितान है
छूना सब को आसमान है
अपनी -अपनी मंजिल सबकी
आकाश ही सपनों का जहान है।

7) धरती
    ---------
खामोश हो सब कुछ सहती
आंचल में  सभी को भरती 
जब सह न पाती दर्द  अधिक 
भूकंप मचा देती धरती ।



आभा दवे

हाइकु-बिंदु पर/आभा दवे

बिंदु- पर हाइकु/ आभा दवे 
----------------------

1) वो एक बिंदु
    है सृष्टि का सृजन
    आदिकाल से ।

2)चातक पक्षी
जलबिंदु का प्यासा
  वर्षा ऋतु का।

3)है ओस बिंदु
हरित धरती का 
 सुंदर रूप।

4)  बिंदु प्रतीक
  एक सूक्ष्म चिह्न का
    समाए सृष्टि।

5)बिंदु का सार
जीवन की आशाएँ
राह दिखाती ।

आभा दवे
४-४-२०२० शनिवार  

Wednesday 1 April 2020

असुर /एम.ए.पाचपोळ

   "  असुर "
     ———-
 कोरोना विषाणु
      है जैविक,
      या मानव निर्मित,
      नहीं कोई जानता,.   
      अब तक।  
      ना जाति, ना धर्म,
      ना गरीब, ना  अमीर
      ना प्रदेश, ना  महासत्ता
      छाया है,
      यह महा असुर,
      सारे विश्वभर ।
       होनी हैं या
       अनहोनी,
       या है किसकी 
       मिली भगत,
        या साजिश
       तभी  चलेगा पता इसका,
       पूरा विनाश होकर ।
       प्रजा के प्रति यह
       संसार में,
       सरकार को, 
      सेवक धर्म निभाना ही
     है अति कठिन   ।
     आया बहुत कठिन
       समय है,
     विश्व और मानवधर्म,
      निभाये,
      हम सारे 
      मिलकर,
       विनाश करे,
       ये जीवाणु का
       एक दिल होकर।
    
       ऍड एम. ए .पाचपोळ, मुंबई.



B A LL.M.
EX Reporter, Maharashtra Legislature Secretariat,
Mumbai. ( १९७६- २०११.),
Legal Advisor, Maharani Ahilyadevi  Samaj Prabodhan Manch, Mumbai and
Social Worker.



दुआ/ एन.ए.पाचपोळ

!!  दुआ !!
     
       रात्री में,
        मैं 
        जब,
       अकेला ही
       आकाश में,
       एकही चांद  को,
       अनेक चाँदनीयोके 
       साथ रंग भरते 
       देखा,
       तो शुक्र की
       चांदनी,
       उदास,
       रोती हुई दिखी.
       उसके रूदन से
       आकाश भी,
        रो पड़ा,
       और बोला,
       क्यों बहाती हो
       आँसू अपने,
       जो कोई अपना ही
       दर्द देता ,
       तो दर्द होता ही है
      मेरा विशाल रूप 
      और मन ही,
       तेरी,दवा और दुवा 
       है न।
       आ, तू मुझमे समा
       जा ,
       मैं  हूँ ना ।

             २५/१२/२०१९

ऍड एम ए पाचपोळ, मुंबई.


B A LL.M.
EX Reporter, Maharashtra Legislature Secretariat,
Mumbai. ( १९७६- २०११.),
Legal Advisor, Maharani Ahilyadevi  Samaj Prabodhan Manch, Mumbai and
Social Worker.