!! दुआ !!
रात्री में,
मैं
जब,
अकेला ही
आकाश में,
एकही चांद को,
अनेक चाँदनीयोके
साथ रंग भरते
देखा,
तो शुक्र की
चांदनी,
उदास,
रोती हुई दिखी.
उसके रूदन से
आकाश भी,
रो पड़ा,
और बोला,
क्यों बहाती हो
आँसू अपने,
जो कोई अपना ही
दर्द देता ,
तो दर्द होता ही है
मेरा विशाल रूप
और मन ही,
तेरी,दवा और दुवा
है न।
आ, तू मुझमे समा
जा ,
मैं हूँ ना ।
२५/१२/२०१९
ऍड एम ए पाचपोळ, मुंबई.
B A LL.M.
EX Reporter, Maharashtra Legislature Secretariat,
Mumbai. ( १९७६- २०११.),
Legal Advisor, Maharani Ahilyadevi Samaj Prabodhan Manch, Mumbai and
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