Friday 23 October 2020

कविता-अलौकिक /आभा दवे

 अलौकिक

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ज्ञान विवेक की देवी

माँ सरस्वती, वीणावादिनी

अलौकिक ज्ञान की ज्योति जगा।


अपनी कृपा बरसा कर

जीवन में नया संगीत जगा

जिसकी तान पर जीवन अलौकिक हो।


हंसवाहिनी, संगीत कला और विद्या

का ऐसा संगम हो कि उस नदी की

धार ऐसी बहे जो अलौकिक हो।


श्वेतांबरी, मेरी वाणी में

वो शक्ति का संचार हो

जिसके बोलो में सत्य का

अलौकिक आभास हो।


महासरस्वती अंबिका

मेरे अंतःकरण को निर्मल कर

अपनी भव्यता दो जो अलौकिक हो।


हे भगवती, स्मरण शक्ति को

वह बल प्रदान कर जिसमें

आपकी स्तुति नित्य नवीन

अलौकिक हो।

आभा दवे


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