Saturday 7 November 2020

दीप ज्योति नमोस्तुते/आभा दवे

 

दीप ज्योति नमोस्तुते

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शुभम करोति कल्याणम

आरोग्यम् धनसंपदा

शत्रु बुद्धि विनाशय 

दीप ज्योति नमोस्तुते।




"हे दीपक ! तुम अपनी ज्योति से हमारा शुभ एवं कल्याण करते हो, तुम हमें आरोग्य देने वाले हो ,हमारी धन, समृद्धि का वर्धन करने वाले हो, हमारी शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाले हो , हम तुम्हारे दीप की ज्योति को नमस्कार करते हैं।" दीप प्रज्वलित कर यह प्रार्थना सदियों से चली आ रही है।


हमारी भारतीय संस्कृति में दीपों का आदिकाल से बड़ा महत्व रहा है। हर प्रकार की मांगलिक कार्यों में दीप जरूर प्रज्वलित किया जाता है और उससे हर शुभ कार्य की शुरुआत होती है। दीए की ज्योति हर शुभ कार्य का संदेश देती है और अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है। संसार के सभी धर्मों में ज्योति या प्रकाश का बहुत महत्व है । हर धर्मों ने इसे अपने -अपने तरीकों से बयां किया है । हमारे आन्तरिक प्रकाश ने ही बाहर के प्रकाश को समझा और जाना ।आन्तरिक प्रकाश से ही ज्ञान-विज्ञान आगे बढ़ा

है और धरती का अंधकार  मिटाने में सफल हुआ है ।


दिवाली का त्यौहार भी इसी तरह का त्यौहार है जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है और हमारे जीवन को अंधकार से प्रकाश की राह दिखाता है। वैसे तो हमारे देश में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं पर दिवाली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जिसमें दीए की ज्योति को महत्व दिया जाता है और घर- घर में दीपमालाएँ सजाई जाती हैं। कहते हैं दिवाली का त्यौहार 14 वर्ष वनवास के बाद जब रामचंद्र जी रावण का वध करके सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या लौटे थे तो उनके स्वागत के लिए घर-घर में दीप जलाए गए और नृत्य, संगीत द्वारा खुशी प्रकट की गई थी । तब से यह त्यौहार बड़े उल्लास के साथ हर साल मनाया जाता है। दिवाली का त्यौहार अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है। जो हमें यह संदेश देता है कि हमें अपने जीवन में फैले विकारों का नाश करके पवित्रता और शुभकामनाओं के साथ दीपक का उजाला घर -घर तक पहुंचाना चाहिए। अज्ञान के अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से जगमगाना चाहिए । दिवाली में आतिशबाजी करने का भी यही अर्थ है कि हम सब को अंधकार को दूर भगा कर रोशनी को बढ़ाना है और फैले हुए अंधकार को दूर भगाना है।


दिवाली में मिट्टी के दिए जलाने का अर्थ है मिट्टी में निहित प्रकाश को अपने अंदर प्रकट करना और दीए की माटी के अर्थ को समझ कर दीया और बाती के संबंधों के महत्व को समझना उस पर विचार करना । दीए और बाती की लौ हमें जीवन- मरण का अर्थ समझाती है । दिवाली के दीयों  में जीवन का गहन अर्थ छुपा हुआ है। इसलिए दिवाली सभी के संग मिल जुलकर मनाई जाती है।


लक्ष्मी पूजा के बाद अपनी खुशियां दूसरों के साथ बाँट कर मेवे- मिष्ठान  उन घरों तक जरूर पहुँचाना चाहिए जिनके घरों में  गरीबी रुपी अंधकार फैला हुआ है । उनके घरों में भी दीप का उजाला कर इंसानियत का  दीया जरूर जलाना चाहिए । कार्तिक की अमावस की रात को दीपक जलाकर कर  अपनी मंगल कामनाओं को चारों दिशाओं में पहुँचाना चाहिए । यह झिलमिलाता प्रकाश एक नई सृष्टि को जन्म देता है साथ ही  हमारे मन के अंदर भी एक नए उजाले को जन्म देता है जो सद्भावना से जुड़ा होता है इसीलिए इस त्योहार पर लोग आपस में भेदभाव भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं और छोटे- बड़ों के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद  लेते हैं। अपने जीवन में आने वाले प्रकाश के लिए , दूसरों के जीवन में भी खुशियां भरने के लिए । संसार में अपना नाम रोशन करने के लिए जो रोशनी से ही जुड़ा हुआ है ।


दिवाली का त्यौहार अनेकता में एकता का त्यौहार है । जो पूरे विश्व में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है  और अपनी रोशनी से धरा के अंधकार को मिटा कर उजाला फैलाता है । लोगों के दिलों की दूरियों को करीब लाता है । जो हमें अपने जीवन में शुभ तत्व धारण करने की प्रेरणा देता है और कहता है-


एक दीया ऐसा भी जलाओ

घर-घर उसकी ज्योत जलाओ

मन के अंधकार में दीप जला

उसकी रोशनी जग में फैलाओ।



आभा दवे

मुंबई


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