Tuesday 22 December 2020

पहेली कविता /आभा दवे

पहेली
-------------

पहेली सा जीवन लगता है लेकिन
उसका भी हल निकलता है लेकिन
सभी ही एक दिशा के हैं राहगीर
धर्म  सभी के रास्ते बदलता है लेकिन ।

कोहरा सा धुँधला रहता भविष्य
पहेली सी समाहित है उसमें आयुष्य
जीवन यूँही चलता रहता निरंतर
धरा पर प्रमुख तत्व गुरु और शिष्य।

शून्य काल से चली आ रही कहानी
तम में उजाला है बात पुरानी
रहस्यमय, मौन है अजब एक शक्ति
पहेली बन विचरती लगती रूहानी होती हैरानी।

आभा दवे
मुंबई 

No comments:

Post a Comment