अद्भुत
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नौ रसों में रचा हुआ है यह अद्भुत संसार
सभी रस घूमा किए इस पार से उस पार
हृदयतल के सागर में गोता लगाते हैं
विष और अमृत कलश वहीं पाते हैं अपार।
अजीबोगरीब संसार है ये चकित करने वाला
कोई है दुखी तो कोई फिर रहा होकर मतवाला
अपनी-अपनी दुनिया बसी है सभी के दिलों में
कोई पिरो रहा शब्दों की अनोखी ही माला।
विचारों का आदान-प्रदान करते हैं सभी यहाँ
एक दूसरे के दिलों में समा जाता है जहाँ
मन के भाव कमाल कर जाते हैं गहराइयों तक
अंतर्मन में न जाने यह सब छुपे रहते हैं कहाँ?
आभा दवे
6-3-2021
शनिवार
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