Thursday 3 June 2021

दीदार /कविता आभा दवे

 *दीदार*

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कैसे करें दीदार तेरा तुझसे ही शिकायत है

मेरी जाँ मालूम है तुमको ,तुमसे ही मोहब्बत है।


आँधियाँ इन दिनों गमों की चारों ओर चल रही है

माँगते हैं तेरे लिए दुआ अब यही मेरी इबादत है।


दूर से ही सही तेरा दीदार हो जाए तो अच्छा हो

जिंदगी की उम्र अब छोटी हो रही है यही हकीकत है।



तेरा मासूम सा चेहरा अक्सर याद आता है बहुत

खुश रहे तू हमेशा तेरे से ही मेरी जिंदगी सलामत है।



तेरा रूठकर मान जाना भी एक अनोखी अदा थी

बातों -बातों में अब भी वो पहली सी शरारत है।



बीते दिनों की यादों के साए घेरे रहते हैं मुझको

कहते हैं कि ममता में आज भी कितनी मासूमियत है।


जताती है मुझ पर जब तू मुस्कुरा कर प्यार बहुत

तब यूँ लगता है तुझ पर उस ईश्वर की इनायत है ।


आभा दवे

17-5-2021

सोमवार






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