Friday 22 April 2022

मेरी कश्मीर यात्रा 10-4-2022 से 17-4-2022


मेरी कश्मीर यात्रा ( 10-4-2022 -17-4-2022)
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कश्मीर के सौंदर्य के बारे में बहुत नाम सुना था। जैसे ही पता चला कि  अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की ओर से कश्मीर टूर जा रहा है तो तुरंत कश्मीर जाने की तैयारी में जुट गई। विश्व मैत्री मंच की ओर से यह साहित्यिक टूर था जो 10 अप्रैल से 17 अप्रैल 2022 तक का था। 7 रातें और 8 दिन का टूर बहुत ही यादगार रहा। 
हम सभी छह साहित्यकार  मैं, ज्योति गजभिए, प्रभा शर्मा, लक्ष्मी यादव, रीता राम दास, लता तेजश्रवर (सपरिवार )10 अप्रैल की सुबह  ही दिल्ली पहुँच गए थे।  देशभर के अन्य जगहों से आए सभी साहित्यकार दिल्ली में एकत्रित हुए । सभी समय से पहले ही आ गए थे । दिल्ली से श्रीनगर की हम सभी की शाम की फ्लाइट थी । अलग-अलग जगह से आए सभी साहित्यकारों से मिलकर अच्छा लगा।  बातों- बातों में कब समय  बीत गया पता ही नहीं चला और हम सभी शाम की फ्लाइट से श्रीनगर रवाना हो गए। श्रीनगर पहुँचकर सुखद अनुभूति हुई। श्रीनगर की जिस होटल में हम सभी रुके थे वह बर्फ से ढकी पहाड़ियों के सामने ही थी। बर्फ से ढकी पहाड़ियों ने हम सभी का मन मोह लिया। सभी ने एक दूसरे की तस्वीरें खींच कर कैमरे में कैद कर ली।  दूसरे दिन हम सभी plam Spring होटल के लिए रवाना हुए जहाँ पर साहित्यक सम्मेलन का आयोजन किया गया था।  अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री  मंच की संस्थापिका एवं अध्यक्षा आदरणीया संतोष श्रीवास्तव जी ने सभी साहित्यकारों का बड़े उत्साह के साथ स्वागत किया । भोपाल निवासी संतोष  श्रीवास्तव जी के सानिध्य में ही यह कश्मीर टूर आयोजित किया गया था। श्रीनगर में आयोजित साहित्यिक सम्मेलन में , "साहित्य में पर्यटन" विषय रखा गया था जिस पर शोभना श्याम जी, संतोष श्रीवास्तव जी, साकेत सुमन चतुर्वेदी जी ,   प्रमिला वर्मा जी, रीता राम दास जी एवं जम्मू विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं इस  कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉक्टर अजय कुमार सिंह जी ने पर्यटन पर अपने विचार व्यक्त कर पर्यटन के महत्व पर प्रकाश डाला।  सभी प्रमुख वक्ताओं के वक्तव्य के बाद पुस्तक लोकार्पण एवं कविता पाठ किया गया। डॉ ज्योति गजभिए की पुस्तक "वार्ड नंबर 46," कहानी संग्रह, पदमा मोटवानी की "जीवन तरंग" एवं लता तेजेश्वर जी की "चाँदनी रात में तुम"  काव्य संग्रह का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण के बाद कविता पाठ किया गया जिसमें मुझे भी कविता पढ़ने का  सुअवसर प्राप्त हुआ। कुशलता पूर्वक संचालन डॉ प्रभा शर्मा एवं अंजना श्रीवास्तव जी का रहा एवं आभार आरती झा जी ने व्यक्त किया। 

सफलतापूर्वक कार्यक्रम संपन्न होने के बाद हम सभी सोनमर्ग के लिए निकल गए। सोनमर्ग पहुँचकर वहाँ के सौंदर्य का आनंद लिया और सोनमर्ग में ही होटल में रात बिताई। अगले दिन सुबह का नाश्ता कर हम सभी फिर श्रीनगर के लिए रवाना हुए बीच में ही माता खीर भवानी जी मंदिर, निशात गार्डन , शालीमार गार्डन, चश्मा शाही, परी महल, बॉटनिकल गार्डन, टयूलिप गार्डन का आनंद उठाते हुए श्रीनगर होटल पहुँचे। रात्रि भोज करने के बाद सभी सुबह गुलमर्ग जाने के लिए जल्दी ही नींद की आगोश में चले गए। सुबह नाश्ता करने के बाद फिर गुलमर्ग के लिए रवाना हुए। रास्ते भर वहाँ के सौंदर्य को निहारते हुए गुलमर्ग पहुँचे। जहाँ पर हॉर्स राइडिंग और  Gondola Ride का लुफ्त उठाते हुए बर्फ से ढके पर्वतों का आंनद उठाया और स्लेज गाड़ी पर सवार होकर ऊपर से नीचे तक आए। स्लेज गाड़ी पर नीचे आते हुए मैं दो -तीन बार बर्फ पर गिरी और हल्की सी हथेली पर चोट भी आई, पर प्राकृतिक सौंदर्य के सामने यह चोट भी भूल गई । बर्फ आच्छादित पहाड़ों पर मजा उठाने के बाद मौसम ने अपना रंग बदला और चारों तरफ कोहरा छा गया । बर्फ के पहाड़ भी कोहरे से ढक गए थे। हम सभी Gondola Ride से वापस  मैदानी क्षेत्र में आ गए। वहाँ से आने पर पता चला हमारी एक सदस्या अभी तक वापस नहीं आई है उन्हें ढूँढने के लिए , जिसने हम सभी को Gondola Ride तक पहुँचाया था  और हम सभी की जिम्मेदारी ली वे हमारी गुमशुदा सदस्या की खोज में पुनः Gondola Ride से ऊपर गए और बर्फीले पहाड़ों पर उन्हें ढूँढने की कोशिश की पर हमारी गुमशुदा सदस्या कहीं दिखाई नहीं दी । एक- डेढ़ घंटे के बाद  संतोष जी एवं सभी  सदस्य हमारी  शीला जी को पाकर खुश हुए । सभी के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी । बस में बैठकर सभी प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हुए वापस होटल आ गए। हम सभी ने बर्फ के पहाड़ों पर जाने के लिए माता खीर भवानी मंदिर के पास से कपूर खरीदा था ताकि उसको सूँघते हुए बर्फ के पहाड़ों पर चढ़ सकें और किसी को साँस लेने में दिक्कत न हो पर कपूर की जरूरत ही नहीं पड़ी सभी आराम से बर्फीले पहाड़ों पर पहुँच गए थे और उसका मजा लिया । बीती खुशनुमा यादों के बाद हम सभी  अगले दिन पहलगाम के लिए रवाना हुए । प्राकृतिक दृश्यों के साथ- साथ हम सभी ने
 सिंधु नदी, झेलम नदी का भी आनंद उठाया।  अनंतनाग के आगे ही सेव के बगीचे देखें और ताजा सेव का जूस पिया।  रास्ते में ही एक जगह रुक कर केसर और  कश्मीरी कावा (चाय ) की खरीदारी की। कावा पेय का आंनद उठाया।  बाद में सभी सदस्य शंकराचार्य मंदिर गए  । वहाँ पर  200 से अधिक सीढियाँ चढ़ कर  शिवलिंग के दर्शन किए। चूंकि शंकराचार्य मंदिर तक  बस नहीं जाती इसलिए सभी को  बस से उतर कर अपना -अपना ऑटो करके मंदिर तक जाना पड़ा । एक आटो में 4 लोगों बैठे थे । तीन पीछे और एक सामने। सभी सदस्यों ने जब शंकराचार्य मंदिर के दर्शन कर लिए उसके बाद सभी ऑटो में बैठ कर बस स्थान तक पहुँच गए । वहाँ से निकल कर सभी पहलगाम के मार्केट में शॉपिंग करने के लिए आ गए। सभी ने अपने -अपने पसंद की कश्मीरी शॉल ,ड्रेस, स्वेटर,फिरन आदि खरीद कर पहलगाम में खरीदारी का मजा लिया और अन्य स्थानों पर होते हुए वापस  होटल आ गए। अपनी यात्रा को जारी रखते हुए अगले दिन हम सभी  होटल में सुबह का नाश्ता करने के बाद  अरु वेली एवं अन्य स्थानों को देखने के लिए निकल गए। अरु वेली पहुँच कर वहाँ के सौंदर्य के दर्शन किए और Lidder River की बहती हुई धारा में खो गए । सभी ने खूब तस्वीरें ली और वीडियो भी बनाए । चंदनवाड़ी जहाँ से अमरनाथ यात्रा शुरू होती है वहाँ के बर्फीले पहाड़ों का लुत्फ उठाते हुए बेताब वेली पहुँचें। बेताब वेली में फिल्म बेताब की शूटिंग की गई थी। ऐसे तो पहले भी कश्मीर के कई स्थलों को देख चुके थे जहाँ पर फिल्मों की शूटिंग की गई थी। बेताब वेली पर ज्यादा न रुकते हुए वहाँ के सौंदर्य को कैमरे में कैद कर आगे निकल पड़े। रास्ते भर प्राकृतिक दृश्यों का आनंद उठाते हुए वापस पहलगाम होटल आ गए। कश्मीर यात्रा के आखिरी पड़ाव को यादगार बनाते हुए हम सभी सुबह का नाश्ता करने के बाद अन्य स्थलों पर रुकते हुए लाल चौक (श्रीनगर )पहुँचे। लाल चौक वह स्थान है जहाँ भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1948 में देश को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारतीय राष्ट्र ध्वज फहराया था। लाल चौक में अन्य घटनाएँ भी घटित हो चुकी हैं जो यादगार के रूप में आज भी ताजा हैं। लाल चौक पर 1980 में घंटाघर बनाया गया था। जिसको हम सभी ने देखा। लाल चौक का बाजार  खरीदारी के लिए प्रसिद्ध है वहाँ पर कई सदस्यों ने उतरकर खरीदारी की और बाकी हम सब बस में बैठकर लंच के लिए निकल गए। जिस जगह पर लंच किया था उसी के बगल में एक ऊनी कपड़ों की दुकान थी वहाँ पर कई सदस्यों ने शापिंग की । लाल चौक पर जो सदस्य खरीदारी के लिए उतर गए थे वे अपनी खरीदारी पूरी करके वापस उसी स्थान पर आ गए जहाँ पर हम सभी बस में उनका इंतजार कर रहे थे। हँसते -गाते ,बतियाते हम सभी डल लेक पर आ पहुँचे । वहाँ पर पहुँच कर सूटकेस,बैग एवं सामान के साथ सभी  शिकारे से  हाउसबोट की ओर रवाना हुए । डल लेक पर शिकारे की सवारी करते हुए बहुत अच्छा लग रहा था । डल लेक का सौंदर्य निहारते हुए हम सभी हाउसबोट पर आ गए । कश्मीरी यात्रा का हम सभी का आखिरी पड़ाव हाउसबोट पर ही बीता । हम सभी सदस्य  अलग-अलग हाउसबोट पर रुके थे । हमारी हाउसबोट पर तीन अलग-अलग कमरों के अलावा ड्राइंग रूम और डाइनिंग हॉल भी था, जो अंदर से सुसज्जित था । अखरोट  की लकड़ी से बना नक्काशी दार फर्नीचर बेहद ही खूबसूरत था।  ड्राइंग रूम में एक मेज़ रखी थी , कहा जाता है कि जब सुभाष चंद्र बोस वहाँ पर आए थे तो उन्होंने उस मेज़ का इस्तेमाल किया था। हम सभी ने उस मेज़ के साथ अपनी तस्वीरें लेकर गौरव का अनुभव किया। बाकी सदस्यों की हाउसबोट भी एक से बढ़कर एक थी और अंदर से सुंदर तरीके से सुसज्जित थी। हाउसबोट पर पहुँचकर हम सभी ने वहाँ की कश्मीरी चाय का आनंद उठाया और उसके बाद शिकारे पर घूमने निकल पड़े। डल झील का आनंद उठाते हुए हम लोग चार चिनार  स्थल पर पहुँचे । वहाँ पर चार चिनार के पेड़ डल झील का सौंदर्य बढ़ाते हैं। उस स्थान पर कई फिल्मों की शूटिंग भी होती है । वहाँ पर हम लोगों ने अपनी- अपनी तस्वीरें खिंचवा कर चार चिनार के सौंदर्य को कैमरे में कैद कर लिया और वापस हाउसबोट पर आ गए।  हाउसबोट पर आने के थोड़ी देर बाद ही दूसरे शिकारी से हम सभी मीना बाजार के लिए निकल पड़े जो डल लेक की शान है। शिकारे से मीना बाजार का आनंद उठाया , खरीददारी की , शिकारे पर चाय का मजा लेते हुए वापस हाउसबोट पर आ गए। रात्रि भोज करने के पहले हाउसबोट की छत पर जाकर  चाँद के सौंदर्य को झील के साथ कैमरे में कैद कर लिया। रात्रि की नीरवता का  सौंदर्य बड़ा ही सुखद लग रहा था। रात्रि भोज एवं गपशप करने के बाद हम सभी नींद के आगोश में चले गए । सुबह जल्दी उठना था दिल्ली रवाना होने के लिए। कश्मीर की सुखद यादों को समेटे हुए हम सभी सुबह श्रीनगर एयरपोर्ट के लिए रवाना हुए। कश्मीर से दिल्ली तक का सफर सभी ने कश्मीर की सुखद यादों के साथ तय किया और दिल्ली से सभी अपनी -अपनी फ्लाइट के समयानुसार  अपने -अपने शहरों  को सकुशल लौट के गए। कश्मीर की सुखद यात्रा हमेशा ही याद रहेगी।
श्रीनगर, सोनमर्ग, गुलमर्ग, र्खलनमर्ग ,टँगमर्ग, पहलगाम , हाउसबोट, शिकारा आदि यादों में झिलमिलाते रहेंगे।

अपनी लिखी हुई इन पंक्तियों के साथ अपनी बात यही समाप्त करती हूँ-

अद्भुत सौंदर्य धरा पर बिखरा पड़ा
बस एक नजर  उसे निहारो तो ज़रा।

आभा दवे
मुंबई






5 comments:

  1. खूबसूरत कश्मीर आपकी लेखनी से और खूबसूरत हो गया ,सचमुच यात्रा अविस्मरणीय रही|

    ज्योति गजभिये

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  2. कश्मीर में जिस तरह प्रकृति ने अपना सौंदर्य लुटाया है तुमने बहुत बारीकी से अपनी पारखी नजरों से उसे देखकर वर्णन किया है बहुत ही खूबसूरत वर्णन है ऐसा लगा जैसे दोबारा कश्मीर देख रही हूँ।बधाई आभा जी

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  3. विश्व मैत्री मंच के श्रीनगर में संपन्न हुए राष्ट्रीय सम्मेलन का भी आपने विस्तार पूर्वक वर्णन किया है।

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  4. कश्मीर का बहुत विस्तृत और सुंदर वर्णन किया है बहुत-बहुत बधाई।

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  5. यात्रा का वर्णन पढ़, लगा कि हमने भी आपके साथ साथ कश्मीर की सैर कर ली। फोटो भी बहुत सुन्दर आए हैं। हार्दिक बधाई

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