Friday, 8 April 2022
माया गोविंद जी को उनके गीतों के माध्यम से श्रद्धांजलि
माया गोविंद जी को उनके गीतो के माध्यम से विनम्र श्रद्धांजली
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सुप्रसिद्ध लेखिका, कवयित्री, गीतकार माया गोविंद जी का निधन 7अप्रैल 2022 गुरुवार के दिन हो गया। उनके निधन का समाचार स्तब्ध कर गया। माया गोविंद जी के साथ बहुत सुखद यादें जुड़ी हुई हैं। वे लेखनी की धनी के साथ- साथ अच्छे व्यक्तित्व की धनी थी । उनसे जब भी मुलाकात हुई वे बड़ी आत्मीयता के साथ मिलती थीं। उनकी रचनाओं के साथ- साथ उनके वक्तव्य को सुनने का अवसर भी प्राप्त हुआ। वे मधुर आवाज की भी धनी थी । बहुमुखी प्रतिभा संपन्न माया गोविंद जी ने 350 से अधिक फिल्मी गीत लिखे। उन्होंने टीवी के लिए भी कलम चलाई 'महाभारत' जैसे यादगार सीरियल के लिये गीत, दोहे और छंद लिखे एवं 'विष्णु पुराण', 'किस्मत', 'द्रौपदी', और 'आप बीती जैसे सीरियल में अपनी लेखनी का लोहा मनवाया। इसके अलावा उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। उन्हें फिल्म "आरोप" में गीत लिखने का पहला अवसर मिला जिसने फिल्मों में गीत लिखने के द्वार खोल दिए। उन्होंने एक से बढ़कर एक गीत लिखे जो लोगों के दिलों को छू गए।
माया गोविंद जी दिव्य लोक में विलीन हो गईं हैं पर वे हमेशा अपने गीतों एवं रचनाओं के माध्यम से लोगों के दिलों में हमेशा रहेंगी। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रस्तुत है उनके लिखे कुछ गीत जो आज भी अपना अलग स्थान रखतें हैं एवं दिलों को छू जाते हैं🙏🙏
1)ये मत जानियो तुम बिछुड़े मोहे चैन
जैसे बन की लकड़ी सुलगती हो दिन रैन
कजरे की बाती असुवन के तेल में
आली में हार गयी अँखियाँ के खेल में
कजरे की बाती असुवन के तेल में
आली में हार गयी अँखियाँ के खेल में
कजरे की बाती
चंचल से नैनो में काजल को आँज कर
बिखरी इन पलको में रजनी को बाँध कर
सिन्दूरी आंचल में तारो को ताक कर
आधरो के प्यालो में चुंबन को ढाल कर
अटका कर सबके मन प्रीत की गुलेल में
मारी ना जौ कही अपने ही इस खेल में सपने ही टूट गये इस तेल मेल में
आली में हर गयी अँखियाँ के खेल में
कजरे की बाती
तन की सुराह में यौवन की हाला
चितवन में मदहोशी अंगो में ज्वाला
चल चल छलके जो मदिरा का प्याला
गोरी तू लगे हैं पूरी मधुशाला
नशा ही नशा हैं इन अंगूरी बेल में
प्याला और मदिरा इन दोनों के मेल में
नशा ही नशा हैं इन अंगूरी बेल में
विराह के फूल हैं जीवन की बेल में
आली में हर गयी अँखियाँ के खेल में
कजरे की बती.
फिल्म-सावन को आने दो (1979)
2)नैनों में दर्पण है
दर्पण में कोई
देखूँ जिसे सुबह शाम
बोलो जी बोलो ये राज़ खोला
हम भी सुने दिल को थाम
या तो है धरती या है गगन
या तो है सूरज या है पवन
उहूँ उसका तो साजन है नाम
नैनों में दर्पण है
दर्पण में कोई
देखूँ जिसे सुबह शाम
मस्ती में गए दिल को लुभाए
कानो में मिश्री सी घोल
बोलो जी बोलो ये राज़ खोला
मेरा भी मन आज डोले
या तो कोयल की है रागिनी
या तो पायल है या बांसुरी
न उसका तो सजनि है नाम
नैनों में दर्पण है
दर्पण में कोई
देखूँ जिसे सुबह शाम
बहकी बहकी चाल है उसकी
झूमे वो आवारा
बोलो जी बोलो ये राज़ खोलो
किसकी तरफ है इशारा
बोलो किसकी तरफ है इशारा
या तो जोगी है या पागल
या तो बदल है या आँचल
उहूँ उसका तो प्रियतम है नाम
नैनों में दर्पण है
दर्पण में कोई
देखूँ जिसे सुबह शाम.
फिल्म-आरोप (1974 )
3)चंदा देखे चंदा, तो वो चंदा शर्माए गोरी
गोरी चांदनी में, गोरी जब मुस्काए
जिया बोले पिया, तो ये जिया शर्माए गोरी गोरी चांदनी में, गोरी जब मुस्काए
चाँद से माथे पे बिंदिया झिलमिलाए ऐसे चाँद सूरज रात में एक साथ चमके ऐसे
जी करे ये उमर यूहीं देखते कट जाए
जिया बोले पिया...नैन बन जाती है घूँघट मन दुल्हन की आशा बांचते हैं जब नयन तेरे नयन की भाषा नैन में छुप कर मेरे मुझको तू मुझसे चुराए
चंदा देखे चंदा...प्रीत के रंग में रंगा है तेरा उड़ता आंचल मैने बांधा है इसी में एक दीवाना पागल
आंचल की छाया में ये पागल जिये मर जाए
जिया बोले पिया...
फिल्म- झूठी (1985)
4) तेरी मेरी प्रेम कहानी
किताबों में किताबों में
किताबों में भी न मिलेगी
किताबों में भी न मिलेगी
तेरे मेरे प्यार की खुशबू
गुलाबों में गुलाबों में
गुलाबों में भी न मिलेगी
गुलाबों में भी न मिलेगी
तेरी मेरी प्रेम कहानी प्रेम कहानी
हो.....सूने सूने
सूने सूने जीवन में तूने
प्यार की जोत जगाई
तूने प्यार की जोत जगाई
हो....जीवन में अब जीवन है
ये बात समझ मे आई
हां ये बात समझ में आई
मिल जाएं जब ऐसे हस्ती
मिल जाएं जब ऐसे हस्ती
बस्ती है तब दिल की बस्ती
ऐसी हस्ती
ऐसी हस्ती ज़िन्दपारस्ती
नवाबों में नवाबों में
नवाबों में भी न मिलेगी
नवाबों में भी न मिलेगी
तेरी मेरी प्रेम कहानी
किताबों में किताबों में
किताबों में भी न मिलेगी
किताबों में भी न मिलेगी
हो...आएंगे
आएंगे कल राहों में हां
मोड़ हज़ारों अनजाने
मोड़ हज़ारों अनजाने
हो....साथ तेरा मैं छोडूंगा ना
बाकी और खुदा जाने
बाकी और खुदा जाने
ऐसी निराली प्रीत हमारी
ऐसी निराली प्रीत हमारी
देखेगी ये दुनिया सारी
प्रीत हमारी
प्रीत हमारी ऐसी नशीली
शराबों में शराबों में
शराबों में भी न मिलेगी
शराबों में भी न मिलेगी
तेरी मेरी प्रेम कहानी
किताबों में किताबों में
किताबों में भी न मिलेगी
किताबों में भी न मिलेगी
तेरे मेरे प्यार की खुशबू
गुलाबों में गुलाबों में
गुलाबों में भी न मिलेगी
गुलाबों में भी न मिलेगी
फिल्म-पिघलता आसमान (1985)
5)अब चरागों को का कोई काम नहीं
अब चरागों को का कोई काम नहीं
तेरे नैनों से रौशनी सी है
तेरे नैनों से रौशनी सी है
चन्द्रमा निकले अब या न निकले
चन्द्रमा निकले अब या न निकले
तेरे चेहरे से चांदनी सी है
तेरे चेहरे से चांदनी सी है
हुस्न ए कश्मीर जादु ए बंगाल
हुस्न ए कश्मीर जादु ए बंगाल
तू सरापा किसी शायर का ख्याल
तूने जर्रे को सितारा समझा
तूने जर्रे को सितारा समझा
ये है सजन तेरी नजरो का कमाल
तेरी सूरत में जालु अगर लैला
तेरी सूरत में जालु अगर लैला
जानेमन तूही सोहणी सी है
तेरे नैनों से रौशनी सी है
एक ख्वाहिश एक ही अरमा
एक ख्वाहिश एक ही अरमा
रात दिन बस तेरी पूजा करना
तेरे चरणो की बन रहूँ दासी
तेरे चरणो की बन रहूँ दासी
तेरे चरणो में ही जीना मरना
मेरे सपनो की तू महारानी
मेरे सपनो की तू महारानी
तेरी सूरत में मोहनी सी है
तेरे नैनों से रौशनी सी है
रात सपने में कुछ अज़ब देखा
शर्म आती है ये बताते हुए
एक सीपी में छुप गया मोती
जाने कब ओष में नहाते हुए
तूने खुशियों से भर दिया आँगन
तूने खुशियों से भर दिया आँगन
तेरी ये बात रागिनी सी है
तेरे नैनों से रौशनी सी है
हर जनम में रहेगा साथ तेरा
अय मेरी सीता सावित्री
नाम तेरा मैं मंत्र कर लूंगा
गायत्री गायत्री ही गायत्री
तेरी बाहों में जो ये दम निकले
तेरी बाहों में जो ये दम निकले
मौत भी मेरी जिंदगी सी है
मौत भी मेरी जिंदगी सी है
चन्द्रमा निकले अब या न निकले
अब चरागों को का कोई काम नहीं
तेरे चेहरे से चांदनी सी है
तेरे नैनों से रौशनी सी है.
फिल्म-बावरी
6)मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे
मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे
मेरी ज़िन्दगी से बनी नहीं
मेरी ज़िन्दगी से बनी नहीं
कोई ज़िन्दगी पे करे यकी
मुझे ज़िन्दगी पे यकीं नहीं
मेरी ज़िन्दगी से बनी नहीं
ये सफ़र भी कैसा सफ़र है ये
मैं कभी कभी तो कही कही
मुझे जिस सनम की तलाश थी
वो मिला मगर वो मिला नहीं
मैं वो बात हूँ
मैं वो बात हूँ तो बनी नहीं
मैं वो रात हूँ जो कटी नहीं
मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे
मेरी ज़िन्दगी से बनी नहीं
मेरी ज़िन्दगी से बनी नहीं।
फिल्म-गलियों का बादशाह
7)ओ फूलों के देश वाली
अंग अंग तेरा फूलों वाला
जैसे गुलाबों की हो माला
पंछी सी चहके फसलों सी लहके
सरसो सी फूले चम्पा सी महके
आँचल में बिजली
नैन मे चपलता
चाल में हिरनी की चंचलता
जी चाहता है तुझको बिठाकर
पतझड़ का दर्द कहूँगा
अब तो मैं चुप न रहूँगा
तू चिर यौवन अन्नत हो
क्यू की तुम ऋतु बसंत हो
मुझको तुम्हारा ही हैं इंज़ार
क्या तुमको मालूम हैं
पतझड़ को कितना होगा
बसंत की ऋतु से प्यार.
फिल्म-आरोप
प्रस्तुति/संकलन
आभा दवे
मुंबई
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