Friday 5 July 2019

कविता -नींद

  नींद  /आभा दवे 
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आँखों में सपने सजने लगे
नींद में आकर बसने लगे
कोई भी खास बात नहीं
पर वो आकर महकने लगे ।

जिंदगी भी करवट बदलने लगी
एक मोड़ पर आकर ढलने लगी
हर बात पे आ जाता है उसका जिक्र
तमन्नाएँ भी अब तो  मचलने लगी ।

सितारे रात में जगमगाने  लगे
आँखों को वह बहुत भाने लगे
खुशनुमा हो गई  अब तो जिंदगी
नींद में ख्वाब अब तो बुलाने लगे।

आभा दवे 




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