नींद /आभा दवे
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आँखों में सपने सजने लगे
नींद में आकर बसने लगे
कोई भी खास बात नहीं
पर वो आकर महकने लगे ।
जिंदगी भी करवट बदलने लगी
एक मोड़ पर आकर ढलने लगी
हर बात पे आ जाता है उसका जिक्र
तमन्नाएँ भी अब तो मचलने लगी ।
सितारे रात में जगमगाने लगे
आँखों को वह बहुत भाने लगे
खुशनुमा हो गई अब तो जिंदगी
नींद में ख्वाब अब तो बुलाने लगे।
आभा दवे
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