Wednesday 21 August 2019

कविता जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में -कृपा /आभा दवे

*कृपा*
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कृष्ण अपनी बाँसुरी फिर से बजा
बाँसुरी की धुन पर सबको नचा
तू तो है जग का लाडला
अपनी मधुर मुस्कान फिर से दिखा ।

दीनों पर तू करता *दया* 
उन पर अपनी *कृपा* बरसा
तरस रहे सब तेरे दरस को
पहली सी आकर छवि दिखा ।

बाल गोपाल का रूप हो या सुदर्शन धारी
तेरी महिमा बड़ी ही निराली ,लगती प्यारी
ज्ञान की राह फिर से दिखा 
नेक राह पर सबको चला ।

जय गोविंद जय गोपाल
राधा का श्याम मीरा की शक्ति
प्रेम सुधा को तरसी धरती
नेह प्यार का तू बरसा ।

*आभा दवे*

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