Tuesday 3 December 2019

कविता - निर्माण /आभा दवे

निर्माण
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कर रहा जग उन्नति चारों दिशाओं में
आगे बढ़ रहे हैं कदम चाँद -तारों में
विज्ञान ने कर ली है तरक्की हर पैमाने में
आदमी भी मशीन बन गया अब तो इस जमाने में
वहीं रोबोट भी बदल रहा इंसानों में
अत्याधुनिक साधन  मानव को बना रहे है पंगु
वह दिमाग से नहीं मशीनों से अब गणित कर रहा 
कागज , कलम अब हो रहे सिर्फ नाम के
मोबाइल ,आईपैड पर लिखकर ही नाम कर रहा है
नव निर्माण हो रहा तेजी से, बदल रही है दुनिया
इंसान का इंसानों से प्रेम अब कम हो रहा
जुड़ गए हैं सभी वैज्ञानिक उपकरणों से
रिश्ते भी अब उसी में सिमट कर रह गए
इंसानियत नव निर्माण का देख रही तमाशा
न जाने यह जग किस राह पर निकल पड़ा
निर्माण तो बहुत  तेजी से हो रहा पर
इंसान का क्या चरित्र निर्माण हो रहा
प्रश्नचिन्ह लगा रही है अब  जिंदगी
उसका उत्तर निर्माण के साथ प्रतीक्षा में खड़ा ।

आभा दवे

3 comments:

  1. वर्तमान में परिवर्तनों की आंधी सी चल पड़ी है,
    इस आंधी का सटीक शब्दांकन के लिए हार्दिक बधाई आभा जी 💐😊👏👏👏

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  2. True. Though technology and development is there all over India, according to our customs and traditions,we must stick up to humanity and अथिती Devo bhv principles.

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  3. True. Though technology and development is there all over India, according to our customs and traditions,we must stick up to humanity and अथिती Devo bhv principles.

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