Monday 30 March 2020

जकार्ता संस्मरण/आभा दवे

जकार्ता संस्मरण
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जकार्ता की यादें मेरी जिंदगी की सबसे हसीन यादों में से एक है। मेरे पति की पोस्टिंग मुंबई से जकार्ता में 2007 में हुई थी । मैं बेटी की दसवीं बोर्ड की परीक्षा खत्म होने के बाद अपना नर्सरी स्कूल बंद कर के  जकार्ता चली गई जहाँ पर जिंदगी के सबसे हसीन आठ साल बिताए ।

जकार्ता इंडोनेशिया की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है । यह जावा के उत्तर- पश्चिम तट पर स्थित है । जकार्ता देश का आर्थिक एवं राजनीतिक केंद्र है । यह जनसंख्या के मामले में इंडोनेशिया एवं दक्षिण पूर्वी एशिया में प्रथम एवं विश्व में दसवे से स्थान पर है । जकार्ता डच ईस्ट इंडीज की राजधानी था । 1945 में स्वतंत्रता मिलने के बाद भी यह इंडोनेशिया की राजधानी बना रहा ।

जकार्ता को कई क्षेत्रों में विभाजित किया गया है जिनके अपने प्रशासनिक तंत्र है जकार्ता में पाँच नगर पालिकाएँ है -

1. मध्य जकार्ता
2. पश्चिमी जकार्ता
3. दक्षिण जकार्ता
4. पूर्वी जकार्ता
5. उत्तरी जकार्ता

जकार्ता में कई ऐतिहासिक स्थल एवं सांस्कृतिक केंद्र है । राष्ट्रीय स्मारक ,नगर के मध्य में स्थित सेंट्रल पार्क मर्डेका स्क्वायर के मध्य में स्थित है । राष्ट्रीय स्मारक के पास महाभारत पर आधारित अर्जुन विजय रथ मूर्ति एवं फुव्वारा स्थित है । जो पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है । मध्य जकार्ता में स्थित विस्मा जकार्ता एवं इंडोनेशिया की की सबसे ऊंची इमारत है ।

इंडोनेशिया के प्रमुख प्रांत में सुमात्रा ,बाली और जावा आदि प्रमुख है । जकार्ता जावा में स्थित है । इंडोनेशिया के ये सारे द्वीप गरम मसालों एवं अपनी कलाकृति, पेटिंग , फर्नीचर आदि के लिए प्रसिद्ध है । 

हम लोग जकार्ता के सबसे पॉश इलाके में रहते थे । जहाँ पर अलग-अलग देशों के दूतावास थे । सभी देशो के दूतावासो के साथ बहुत अच्छा अनुभव रहा । उनसे बहुत कुछ जानने और सीखने को मिला । जकार्ता आकर वाकई खुशी हो रही थी । जकार्ता के लोग मिलनसार है और भारतीयों को बहुत पसंद करते हैं । भारतीय भोजन के साथ -साथ  (खास कर  समोसा ,डोसा , पानी पूरी  आदि ) हिंदी गाने एवं शाहरुख खान, सलमान खान, अमिताभ बच्चन ,रितिक रोशन को भी बहुत पसंद करते हैं । करीना कपूर , प्रियंका चोपड़ा, रानी मुखर्जी, ऐश्वर्या राय आदि अभिनेत्रियां यहाँ के लोगों की मनपसंद अभिनेत्रियां हैं ।  जकार्ता जाकर अपनी बेटी का   इंटरनेशनल स्कूल  में  एडमिशन करा दिया था । शुरुआत में उसे वहाँ की पढ़ाई  पसंद नहीं आई थी पर बाद में मन लग गया था । 

जकार्ता में लोग बाटिक प्रिंट के कपड़े पहनना बहुत पसंद करते हैं । शुक्रवार के दिन ऑफिस में बाटिक प्रिंट के कपड़े पहनने की छूट है ।  बाटिक  कपड़े उनका  राष्ट्रीय  पहनावा है । बाटिक ड्रेस  उनकी एकता का प्रतीक है । शुक्रवार का दिन यहाँ के लोगों के लिए खास होता है इस दिन सब लोग मिलकर नमाज पढ़ते हैं । इस दौरान ड्राईवर से लेकर उनके सभी उच्च पदाधिकारी नमाज अदा करते हैं । सारे कार्य नमाज के वक्त बंद हो जाते हैं । जकार्ता में मोटर साइकिल, स्कूटर,आटो, कार , साइकिल सभी प्रकार के वाहनों का लोग लाभ उठाते हैं । ब्लूबर्ड टेक्सी यहाँ पर सुरक्षित मानी जाती है । यहाँ पर हमेशा ट्रेफिक जाम बहुत होता है । इस लिए कहीं भी जाने के लिए घर से जल्दी ही निकलना पड़ता है । यहाँ पर पैदल चलते हुए लोग कम ही दिखाई पड़ते हैं । रमजान के समय आधा जकार्ता खाली हो जाता है ।मेड भी दस- पंद्रह दिन की छुट्टी पर चली जाती है । इस लिए लोग भी इधर-उधर घूमने निकल जाते हैं ।यहाँ पर आकर सभी को मेड की बहुत आदत पड़ जाती है । यहाँ के घर बड़े -बड़े होते हैं इसलिए कम से कम दो मेड तो हर घर में मिल ही जाती है । यहाँ के स्थानीय लोग खाना घर पर कम ही बनाते हैं ।उनको कम दाम में बाहर खाना मिल जाता है । वे लोग हरी सब्जियां और नानवेज ज्यादा खाते हैं । मेरी मेड को बहुत आश्चर्य होता था कि इंडियन लोग घर में अलग -अलग तरह का खाना बनाते हैं और खाना बनाने में ही वक्त बिता देते हैं । यहाँ के लोग घूमने के बहुत शौकीन होते हैं । उनका रहन-सहन भी उच्च स्तर का होता है । यहाँ के लोग देखने में सुंदर होते हैं । यहाँ की लड़कियों को मेकअप करने का बहुत शौक है । हमेशा सजी- संवरी दिखाई देती है । यहाँ के लोगों को अलग- अलग हेयर स्टाइल का भी बहुत शौक है । यहाँ की मसाज बहुत प्रसिद्ध है । एक घंटे में पैर की मसाज कीमत सिर्फ 200-250 रुपए ही होती थी । जब तक वहाँ रही उसका फायदा उठाया बहुत सेेवा भाव से वे लोग मसाज करते हैं  । यहाँ पर 8 महीने  बारिश होती है छाते  की कभी जरूरत ही नहीं पड़ी । कही भी  जाने  के बाद  यदि अचानक बारिश आ गई तो 10- 12 साल के लड़के छाता लेकर आ जाते थे  और taxi  तक छोड़ देते थे ।  बदले में एक हजार का नोट उनको दे देते थे। यहाँ   पर जिस महीने में आर लेटर आता है उन महीनों  में बारिश होती है । ये याद रखने के लिए बहुत आसान है ।


शुरुआत में सबसे बड़ी समस्या भाषा की पैदा हुई यहाँ के लोगों को अंग्रेजी नहीं आती थी और मुझे उनकी भाषा का ज्ञान नहीं था । उसके कारण स्थिति बड़ी ही हास्यापद हो जाती थी । यहाँ पर दूध को सूसू , चिंता को प्यार  , पति को स्वामी , इबू मतलब माँ ,डोसा को पाप कहा जाता है । शुरुआत के दिनों में यहाँ की भाषा को समझने में बहुत दिक्कत हुई , इंडोनेशिया की एकमात्र अधिकाधिक और राष्ट्रीय भाषा "बहासा" इंडोनेशिया है । यहाँ पर इंडोनेशिया की भाषा को "बहासा" कहा जाता है । इसकी लिपि इंग्लिश है इसलिए सीखने में आसान है । यहाँ के लोग अंग्रेजी भाषा का प्रयोग ज्यादा नहीं करते इसलिए अन्य देशों से आए लोगों को उनकी भाषा "बहासा" सीखना अनिवार्य हो जाता है । खासकर खरीदारी करते समय यहाँ की भाषा का ज्ञान होना बहुत जरूरी है ।

अन्य भाषा में जावा, बाली सुंडा, मदुरा आदि कई बोलियाँ भी प्रचलित है जो यहाँ के क्षेत्रीय इलाकों में बोली जाती है । समय की माँग के अनुसार आजकल के नवयुवक अंग्रेजी अच्छी तरह से बोल रहे हैं और वहाँ पर कई मेड भी अंग्रेजी अच्छी तरह से बोल लेती हैं । यहाँ पर सिंधी लोगों की संख्या अधिक है जो बहुत अच्छी  इंडोनेशियन भाषा बोल लेते हैं ।  सिंधी लोगों के पूर्वज जकार्ता में आकर बस गए थे इसलिए यहाँ पर सिंधी  व्यापारी  बहुत अधिक है ।

मेरे घर में जो मेड काम करती थी उसे इंग्लिश नहीं आती थी अक्सर मैं उसके साथ इशारों में बात किया करती थी । उस समय मुझे भी उनकी भाषा नहीं आती थी । मैंने अपनी मेड से इशारों से सब्जी काटने के लिए कहा और दूसरे कमरे में चली गई । थोड़ी देर बाद आकर देखा तो सब्जी कटी हुई दिखाई नहीं दी । जब मैंने उससे पूछा तो उसने डस्टबिन की ओर इशारा किया । उसने समझा था कि मैंने सब्जी को फेंकने के लिए कहा है । हम दोनों काफी देर तक हँसते रहे । इस तरह की घटना प्राय: भाषा न समझने के कारण होती रहती थी और हँसी का कारण बनती थी । बाद में मैंने उनकी भाषा सीख ली और सब्जी एवं मसालों के नाम अपनी मेड को हिंदी में भी सिखा दिए । मैंने उसे वेजिटेरियन खाना बनाना सिखा दिया बाद में वह मुझसे अच्छा खाना बनाने लगी थी । केयरटेकर के साथ भी हमेशा शुरुआती दिनों में भाषा के कारण बहुत मजेदार किस्से होते थे । वहाँ पर मेरे बँगले में स्विमिंग पूल था और मेरा अधिकतर खाली समय स्विमिंग पुल के किनारे लगी टेबल पर चाय पीते और किताबें पढ़ते हुए बीतता था । वहाँ की भारतीय लाइब्रेरी से बहुत अच्छी किताबें पढ़ने मिली साथ ही मेरा लिखने का क्रम भी जारी रहा । वहाँ  की महिला संस्थाओं की पत्रिका में अक्सर लिखा करती थी । यहाँ पर  भारतीय महिला संघ की कमेटी की सदस्य भी थी तो कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेती थी । भारतीय महिला संघ की ओर से साल में एक बार मैरियट होटल में बाजार लगता था और उसका पैसा जो भी खरीददारी से मिलता था सब गरिबों के हित के लिए होता था ।  ये बाजार बहुत ही दिलचस्प होता था इस में भारतीय और इंडोनेशियन अपनी-अपनी दुकानें लगाते थे । इस बाजार का उदघाटन वहाँ के भारतीय राजदूत करते थे । पूरा मीडिया मौजूद होता था । अलग-अलग देशों के लोग आकर खरीददारी करते थे । इस बाजार में बहुत ही मजा आता था ।

जकार्ता में जवाहरलाल नेहरू भारती सांस्कृतिक केंद्र है । जहाँ पर सभी देशों के लोग कत्थक नृत्य ,संगीत योगा सीखने आते हैं । इस केन्द्र के साथ मैं 8 सालों तक जुड़ी रही और वहाँ पर योगा ,संगीत, नृत्य का लाभ उठाया । कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया वहाँ की गतिविधियों का लाभ उठाया । अक्सर इस केन्द्र में टीवी चैनल वाले आते रहते थे और हम लोगों का गाना, डांस, योगा आदि वे टीवी पर प्रसारित करते थे । खुद को अक्सर टीवी पर देखना बहुत अच्छा लगता था ।  गानों के जो भी कार्यक्रम होते थे उसका संचालन में ही करती थी और गानों में हिस्सा भी लेती थी । सभी देशों के उच्चपदाधिकारी उस कार्यक्रम में शामिल होते थे । सभी टीवी चैनल वाले और समाचारपत्र वाले उस कार्यक्रम में शामिल होते थे तो अक्सर समाचारपत्र में भी फोटो आना आम बात थी । 

जकार्ता में भारतीय महिला संघ और अंतर्राष्ट्रीय महिला क्लब दोनों से जुड़ी रही और बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती रही । अंतरराष्ट्रीय महिला क्लब में भारतीय व्यंजन बनाना भी सिखाया  ।  उन सभी से भी बहुत कुछ जानने और सीखने मिला ।  सिरामिक  पेंटिंग  सीखी  और  सिरामिक से  और भी  कई तरह की चीजें बनाना सीखी । अलग-अलग देशों  की महिलाओं से बातचीत करने पर ऐसा लगा जैसे पूरे संसार की महिलाएँ एक जैसी ही है । अंतरराष्ट्रीय महिला क्लब की पत्रिका के लिए भी कार्य किया और सम्पादक मंडल से जुड़ी रही ।

जकार्ता की करेंसी को समझने में भी शुरुआत में समय लगा वहाँ की करेंसी एक हजार रुपए से शुरू होती है । एक हजार रुपए हमारे यहाँ के पाँच रुपए के बराबर है । रुपयों में उतार-चढ़ाव चलता रहता है । वहाँ की करेंसी को रूपिया कहा जाता है । वहाँ पर एक हजार , पाँच हजार ,बीस हजार ,पचास हजार एक लाख के नोट चलते हैं और उनके नाम उनकी भाषा में ही होते हैं तो पहले कुछ भी समझ में नहीं आता था । छोटी दुकानों में अक्सर समस्या होती थी तो उनके ही सामने सारे रुपए दिखा देती थी जितना चाहिए वो ले लेते थे और बाकी रुपए वापस कर देते थे । जकार्ता में एक से बढ़कर एक मॉल है वहाँ पर शापिंग करने का मजा ही कुछ और होता था । क्रेडिट कार्ड से खरीदारी होती थी तो आसानी हो जाती थी । हर मॉल में मनीचेंजर होता है तो करेंसी बदलने में कभी परेशानी नहीं हुई । सारीना मॉल वहाँ का सबसे पुराना और प्रसिद्ध मॉल है । एक से बढ़कर एक पेंटिंग , कलाकृतियां वहाँ पर देखने मिल जाएगी । चाँदी के सामान, रत्न यहाँ की विशेषता है । भारतीय भोजनालय इसी मॉल में था तो अक्सर ही जाना होता था । अभी तो जकार्ता में सभी जगह भारतीय भोजनालय खुल गए हैं ।

इंडोनेशिया भले ही इस्लाम धर्म को मानता है पर आज भी वहाँ पर हिंदू और बौद्ध धर्म का असर देखा जा सकता है । यहाँ पर लोगों के नाम और स्थानों के नाम भी संस्कृत में मिल जाएँगे । आज भी यहाँ रामायण पढ़ी और पढ़ाई जाती है ,सभी को महाभारत का ज्ञान भी है ।आज भी वहाँ महाभारत और रामायण की कहानी पर आधारित नृत्य नाटिका देखी जा सकती है जो अपने आप में बहुत ही अद्भुत होती है । जकार्ता में हिंदू मंदिरों की संख्या भी कम नहीं है सभी देवी- देवताओं के मंदिर एक ही जगह है ।वहाँ के भारतीय सभी त्यौहारों को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं और वहाँ के लोग भी इन त्योहारों में हिस्सा लेते हैं । 15 अगस्त और 26 जनवरी के कार्यक्रम भी बहुत अच्छी तरीके से बनाए जाते हैं । जकार्ता में रहकर बहुत बड़े-बड़े संगीत के कलाकारों से मुलाकात हुई । जिनमें मुख्य हैं शिवकुमार शर्मा संतूर वादक , गायक शंकर महादेवन ,एहसान, लॉय , पीनाज मसानी आदि । कई शास्त्री संगीतज्ञ से भी मुलाकात हुई और उनका गायन सुनने मेला । सुप्रसिद्ध गणितज्ञ स्व.शकुंतला देवी जी से भी जकार्ता में ही सुखद मुलाकात हुई वो मेरे घर पर भी आई और साथ रात्रि भोजन भी किया ।  जब तक शकुंतला देवी जी जकार्ता में रही मेरे घर से उनके लिए खाना जाता रहा  । शकुंतला देवी जी जब जकार्ता से जा रही थी तो कई उपहार मुझे देकर गई ।  शकुंतला देवी जी मिनटों में गणित के सवाल हल कर देती थी  वे बहुत अच्छी अंकशास्त्री भी थी । मुझे उनसे भी बहुत कुछ सीखने मिला । मैं इसे अपना सौभाग्य मानती हूँ । उनकी सहायक मेरी छात्रा निकली मैंने उसे जूनियर कॉलेज में पढ़ाया था । 

जकार्ता में रहने के कारण घूमना काफी हुआ इंडोनेशिया के प्राय सभी द्वीपो में जाने का अवसर मिला । प्रकृति की अनोखी छटा सभी द्वीपो में देखते ही बनती है । बाली उनमें से एक है जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है । कालीमंतन में कोयले की खाने देखने मिली जो कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है । कहते हैं यहाँ पर सोने की खाने भी है । वो पत्थर भी देखने मिले जिसमें सोने की धातु चमक रही थी ।

इंडोनेशिया में सुषुप्त ज्वालामुखी है और उन्हें करीब से देखने का मौका भी मिला । वहाँ पर गर्म पानी के प्राकृतिक कुंड हैं जहाँ पर लोग अंडे भी उबालते हैं । कहते हैं उन कुंड में पैर डालकर बैठने से शरीर की थकान दूर होती है । हम लोग ने भी इस अवसर का लाभ उठाया और उसका अनुभव किया । यहाँ की राख एक प्रकार से दवाई का काम करती है । पैरों के दर्द के लिए अच्छी मानी जाती है ।

इंडोनेशिया का ब्रोमो ज्वालामुखी बहुत ही प्रसिद्ध है उसे भी करीब से देखने का मौका मिला । वहाँ से सूर्य उदय बहुत ही सुंदर दिखाई देता है , उसे देखने के लिए चार बजे सुबह से भीड़ लगी रहती है । सभी लोग उस दृश्य को अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं । आसपास के कई स्थानों का भ्रमण किया । नयी - नयी जानकारी हासिल की ।

जकार्ता से ही कंबोडिया, बैंकाक ,वियतनाम , मलेशिया ,न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, बाकी अन्य स्थानों की यात्रा सुखद रही । मुंबई से जकार्ता की सीधी कोई भी हवाई यात्रा नहीं है इसलिए सिंगापुर या मलेशिया से ही जकार्ता जाना होता था । इस कारण सिंगापुर कई बार घूमना हुआ । सिंगापुर एयरलाइंस में एक बार अनुपम खेर और किरण खेर से मुलाकात हुई  मैं  भी बिजनेस क्लास में थी और वे लोग भी ।  फ्लाइट  मुंबई आ रही थी  । किरण खेर से काफी देर बात की पर मुझे उनकी एक भी फिल्म का नाम ही याद नहीं आ रहा था । मुंबई एयरपोर्ट में  हम लोग साथ में ही बाहर निकले  तब तक किरण खेर जी की सारी फिल्में याद आ गई थी  । मैंने उनकी फिल्मों की तारीफ की तो वो मुस्कुरा भर दी । उनके साथ छोटी सी मुलाकात यादगार रही ।

इंडोनेशिया जहाँ अपने द्वीपो के लिए जाना जाता है वहीं दूसरी ओर जावा, सुमित्रा, और कई द्वीप गरम मसालों के लिए प्रसिद्ध है दालचीनी ,लोंग ,कालीमिर्च वगैरह की भरमार है । कई तरह के फल यहाँ देखने के लिए मिल जाएँगे जिसमें यहाँ का "डूरियन" फल जो अपनी दुर्गंध के लिए जाना जाता है बहुत प्रसिद्ध है। डूरियन फल को "फलों का राजा" बुलाया जाता है । इस फल को यहाँ के लोग बड़े ही चाव से खाते हैं कहते हैं इस फल में प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम मिनरल सब पाया जाता है । खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है । यह फल देखने में थोड़ा सा कटहल जैसा दिखाई देता है ।

जहाँ इंडोनेशिया अपने प्राकृतिक सौंदर्य अपनी कलाकृति अपनी पेंटिंग और फर्नीचर के लिए प्रसिद्ध है वही दूसरी ओर भूकंप आने के लिए जाना जाता है । इंडोनेशिया में अक्सर भूकंप आते रहते हैं । जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है । जकार्ता में भूकंप का अनुभव मैं भी ले चुकी हूँ । बहुत जोरदार भूकंप आया था और मेरे ड्राइंग रूम का झूमर बहुत जोर- जोर से हिल रहा था कुछ देर तक तो मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया पर मेरी सहेली का फोन आने पर मालूम पड़ा कि यह भूकंप के झटके हैं । दीवारों पर भी दरार पड़ गई थी । मैं घर में अकेली थी और मेरे पति मुंबई में थे । बेटी स्कूल बस में थी उस समय मेरा हाल बहुत ही बुरा था डर और घबराहट के मारे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । बाद में सभी से भूकंप के किस्से सुने सब ने अपने -अपने अनुभव एक दूसरे से शेयर किए । आज भी भूकंप वैसा का वैसा यादों में बसा हुआ है ।

जकार्ता के लोग बहुत ही मिलनसार होते हैं और आज के जीवन जीने में यकीन रखते हैं उनका रहन-सहन उच्च कोटि का होता है और पैसा बचाने में ज्यादा विश्वास नहीं करते । पर धीरे-धीरे वहाँ के युवक सजक हो रहे हैं और बचत करने में यकीन कर रहे हैं । जकार्ता में अस्पताल का अनुभव भी अनोखा ही रहा । वहाँ की नर्से इंजेक्शन कब लगा देती हैं पता ही नहीं चलता और इंजेक्शन लगाने के पहले ही माफी मांग लेती हैं कि यदि गलती से इंजेक्शन लगाने में दर्द का एहसास हुआ हो । वहाँ के लोग बहुत ही भावुक होते हैं और हर चीज के लिए माफी जरुर मांगते हैं । हर एक नागरिक दूसरे नागरिक का सम्मान करता है और यही बात उनकी एकता को दर्शाती है । हाँ यहाँ की एक और खास बात है कि यहाँ के लोगों का भूतों पर बहुत विश्वास है । ये लोग बाहरी हवा से डरते हैं । यहाँ के घरों में पंखे भी लगे नहीं होते । छोटे घर हों या बड़े ऐसी ही लगा रहता है । पर भारतीय लोग जिस घरों में भी रहते है पंखे जरुर लगवा लेते हैं । यहाँ पर छिपकली को शुभ माना जाता है । छिपकली धन का प्रतीक मानी जाती है । इंडोनेशिया की "कमोडो ड्रेगन " जो कि विश्व की सबसे बड़ी छिपकली है यहाँ  पाईं जाती है । ये छिपकली बहुत ही विषैली होती है । इस की लंबाई करीब दस फीट की होती है और भार कम से कम सौ किलो का । कहते हैं कि ये छिपकली तीस साल तक जिंदा रहती है ।  इस छिपकली को देखने का सौभाग्य भी मुझे मिला । जकार्ता में तमन सफारी में तरह- तरह के जानवर है जो खुले हुए हैं और रोड पर भी दिखाई दे जाते हैं । ज़ेबरा ,जिराफ ,हिरण को लोग अपने हाथों से गाजर और बाकी फल खिलाते हैं और उसका मजा लेते हैं । बाघ - शेर , तेंदुए और अलग-अलग तरह के जानवरों को देख कर बहुत मजा आता है । यहाँ इस सफारी में तरह-तरह के पक्षी है जो सहज ही सभी का ध्यान आकर्षित करते हैं । गरुड़ पक्षी यहाँ का राष्ट्रीय पक्षी है ।

जकार्ता में रत्न भी अच्छे मिल जाते हैं । मोती, मूंगा, अन्य अलग-अलग रत्नों के साथ यहाँ पर शुद्ध चांदी का भी बोलबाला है । सोना भी अच्छा मिलता है ।

यहाँ पर आकर मुझे बहुत अच्छी सहेलियाँ मिली । उन सभी के साथ आठ साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला । पुनचक, बांडुग जो चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध है साथ ही हिल स्टेशन भी है यहाँ पर सभी सहेलियों के साथ पिकनिक का बहुत आंनद उठाया है । 

मेरी बेटी तो वहाँ से बारहवीं पास करके भारत आ गई थी  । मणिपाल यूनिवर्सिटी कर्नाटक में इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रही थी । जकार्ता में रहने के बाद भी मन उसके आसपास ही घूमता रहता था । जकार्ता के इतने बड़े बंगले में  सिर्फ हम दो प्राणी । केयरटेकर का अलग से वहीं घर था बंगले में ही पर रात सात बजे के बाद वह सो जाता था । रात को  एल आकार का  स्वीमिंग पूल जो बहुत ही बड़ा था और बड़ा दिखाई देने लगता था । अक्सर ही मुझे घर पर अकेली ही रहना पड़ता था मेरे पति को आफिस के काम से अलग-अलग देशों की यात्रा करनी पड़ती थी । मेरी बेटी के चार साल इंजीनियरिंग के खत्म हो गये तो उसे जकार्ता बुला लिया था सोचा वो इधर ही नौकरी कर ले पर उसे मुंबई में नौकरी मिल गई तो वापस वो मुंबई आ गई ।  मैं उसे रोज फोन करती तो मालूम हुआ कि  उसको घर आने में देर हो जाती है ।  मुझे उसकी ज्यादा ही फिक्र होने लगी और हम लोग ने उसे जाब छोड़ने के लिए कह दिया और जकार्ता बुला लिया । हम सब ने मिलकर निर्णय लिया कि अब वापस भारत आ जाना चाहिए और बेटी ने एम बी ए करने का निर्णय लिया ।   फिर से जकार्ता  कि उन जगहों पर घूमना शुरू किया जहाँ पहले इतने सालों से नहीं गए थे ।  जैसे ही सब को पता चला कि हम लोग वापस मुंबई जा रहे हैं तो सभी को बहुत बुरा लगा ।  सभी ने विदाई पार्टी देनी शुरू कर दी थी  । मेरा आखरी गाने का कार्यक्रम बहुत अच्छा रहा । साथ ही टीवी चैनल पर एक कार्यक्रम प्रसारित हुआ था जो सीधा प्रसारण था मुझे दो घंटे तक जकार्ता के कलाकारों के साथ गाने और डांस करने का मौका मिला । पूरे इंडोनेशिया में ये कार्यक्रम टीवी पर प्रसारित किया जा रहा था हमारे देश के भारतीय राजदूत और इंडोनेशिया के राजदूत सभी मिलकर गाना गा रहे थे । ये कार्यक्रम भारत और इंडोनेशिया की मित्रता को बढ़ावा देने के लिए रखा गया था । हम सब ने दो घंटे बहुत मजा किया ।  मेरे लिए बहुत खुशी की बात थी कि जकार्ता छोड़ने के पहले मैं इस कार्यक्रम का हिस्सा बनी । 

समाज में सभी जगह समानता- असमानता होती ही हैं ।  जो बुराईयां समाज में पाई जाती है यहाँ पर भी है  ।   चोरी -चकारी , हत्या , लूटपाट  , रिश्वतखोरी   सभी के रूपों का यहाँ पर दर्शन हो जाता है ।  बहुत अमीर लोग या बहुत गरीब लोग देखने मिल जाएँगे ।  खैर ये  तो  सभी जगहों की आम बात ही है । जकार्ता का सफर बहुत ही अच्छा रहा । यहाँ भारतीय भोजनालय भी कई है इस लिए खाने-पीने की भी परेशानी नहीं है ।  आटो की तरह यहाँ पर मोटरसाइकिल चालक होते हैं जो जगह के अनुसार बीस,तीस,पचास रुपए में एक स्थान से दूसरे स्थान तक छोड़ देते हैं  ।  स्थानीय लोग  अधिकतर मोटरसाइकिल चालक  के साथ जाना ही पसंद करते हैं । यहाँ  के लोग मांसाहारी है ,पर हरी सब्जियों का सेवन बहुत करते हैं । लिखने को बहुत कुछ है पर कलम को यहीं विराम देती हूँ ।

जकार्ता की खट्टी-मीठी यादों के साथ 2015 में वापस मुंबई आ गई । कानों में अक्सर ये गूंज सुनाई देती थी-

ऐ मेरे प्यारे वतन ऐ मेरे बिछड़े चमन तुझ पर दिल कुर्बान

आ अब लौट चलें तुझ को पुकारे देश तेरा ।


आभा दवे

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