Friday, 4 June 2021
हाइबन विधा/आभा दवे
संदेश कविता /आभा दवे
धार छंद/आभा दवे
Thursday, 3 June 2021
दीदार /कविता आभा दवे
*दीदार*
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कैसे करें दीदार तेरा तुझसे ही शिकायत है
मेरी जाँ मालूम है तुमको ,तुमसे ही मोहब्बत है।
आँधियाँ इन दिनों गमों की चारों ओर चल रही है
माँगते हैं तेरे लिए दुआ अब यही मेरी इबादत है।
दूर से ही सही तेरा दीदार हो जाए तो अच्छा हो
जिंदगी की उम्र अब छोटी हो रही है यही हकीकत है।
तेरा मासूम सा चेहरा अक्सर याद आता है बहुत
खुश रहे तू हमेशा तेरे से ही मेरी जिंदगी सलामत है।
तेरा रूठकर मान जाना भी एक अनोखी अदा थी
बातों -बातों में अब भी वो पहली सी शरारत है।
बीते दिनों की यादों के साए घेरे रहते हैं मुझको
कहते हैं कि ममता में आज भी कितनी मासूमियत है।
जताती है मुझ पर जब तू मुस्कुरा कर प्यार बहुत
तब यूँ लगता है तुझ पर उस ईश्वर की इनायत है ।
आभा दवे
17-5-2021
सोमवार
अटल -कविता /आभा दवे
*अटल*
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इरादे अटल हो तो सब कुछ सरल है
नहीं डाल पाता फिर कोई खलल है।
सभी काम होते रहतें हैं धीरे-धीरे
पाना है अमृत पीना नहीं गरल है।
सूरज सिखाता है सबको जीना
समय सदा चल रहा अविरल है।
कर्म की ही होती है हमेशा परीक्षा
जो आगे बढ़ गया वही तो सफल है।
कठिनाइयाँ तो राहों में मिलती बहुत है
सोना देता गवाही रहता पहले तरल है।
मन से थामें हुए है जो उम्मीद की डोरी
उसके लिए रहता हर रास्ता अटल है।
लक्ष्य जो थामे हुए हैं अपनी मँजिल का
उनकी नजरों में नहीं कुछ रहता विरल है।
आभा दवे
31-5-2021
सोमवार