Wednesday 1 June 2022

मुहावरों पर आधारित पंक्तियाँ-आभा दवे

 मुहावरों पर आधारित पंक्तियाँ

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रोजमर्रा  की जिंदगी में न जाने कितनी बार जाने- अनजाने ही हम सभी मुहावरों का प्रयोग करते रहते हैं। यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं, जो थोड़े में ही बहुत कुछ कह जाते हैं। मुहावरों का कार्य भाषा को रोचक, सहज और सशक्त बनाना है। मुहावरे भाषा को सौंदर्य प्रदान करते हैं, जटिल भाषा को सहज बनाते हैं। मुहावरे शब्दों के भावों को बड़ी ही सरलता से प्रकट करते हैं। मुहावरों का उसके शब्दार्थ से संबंध कम होता है। जैसे- पापड़ बेलना। मुहावरे में पापड़ से कोई संबंध नहीं है। उसका अर्थ है बहुत परिश्रम करना। इसलिए जब बहुत परिश्रम करना का भाव प्रकट करना हो, तब इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है। अक्सर कथा, कहानियों, व्यंग्य, लेखों में मुहावरों का प्रयोग देखने को मिलता है। मैंने कुछ मुहावरों को काव्य रूप में ढालने की कोशिश की है प्रस्तुत है कुछ पंक्तियाँ-

1) दाँतो तले अंगुली  वो दबाते रहे
    क्रिकेट मैच देख ताली बजाते रहे।

2) नौ दो ग्यारह हुए नोटों की थैली लिए
    चोर  पुलिस  को  यूँही  सताते  रहे।

3) जान  पर खेलकर युद्ध में शामिल हुए
    देश की खातिर सैनिक जान लुटाते रहे।

4) फूले  न  समाते  माता  - पिता
    बच्चे  सफलता  जब  पाते रहे ।

5) अपने  मुँह  मियाँ  मिट्ठू बनते सभी
     औरों  को  उंगलियाँ  दिखाते रहे ।

6) मुँह में पानी भरे वो निहारा  किए
     अमीरों  की  थाली  सजाते  रहे ।

7) कसौटी पर कसना सबको आता नहीं
    अपनों से ही अक्सर चोट  खाते  रहे ।

8) पानी का बुलबुला है जग सारा
    एक दूसरे को सब समझाते रहे।

9) चैन की साँस लेना जरूरी यहाँ
     सब  धर्म  यही  समझाते  रहे।

10) उठ जाना है जग से सभी को कभी
       अपने  ही  मन  को  बहलाते  रहे ।

11) दिल में समा जाना कहते प्रभु
     आईना जिंदगी का दिखाते रहे।

कुछ और पंक्तियाँ मुहावरों पर आधारित
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1)पेड़ों पर पक्षियों का चहक उठना
मन का उनको  देख बहक उठना
सूरज की लालिमा सुबह देख के
फूलों का उपवन  में महक उठना।

2) पिया गए परदेस हमारे
   सपने संग ले गए प्यारे
   जी न लगे अब  घर में
   वही तो थे एक मेरे सहारे ।

3)मन रमा  कृष्ण  की  बाँसुरी में
   राधा जल नहीं ला पाई गगरी में
  बेसुध रही  कृष्ण  की  प्रीत संग
  डोलती  रही  उसकी नगरी  में ।

4)अब तो मात खा गए जिंदगी से
   दिन गुजर रहे हैं यूँही सादगी से
   कोई  शिकवा  शिकायत  नहीं
   राज़ी  हुए  हैं  उसकी बंदगी से ।

आभा दवे
मुंबई


1 comment:

  1. बहुत सुंदर। बहुत ही अच्छा तारतम्य जोड़ा है।

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