विश्वास
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मन के कोमल भावो को
जग की निष्ठुर छाया ने
कर दिया है इतना घायल कि
विकल हो गया मन
ना रह गया है
किसी पर विश्वास
इस तरह जो पहले सिर्फ़
एक राखी की ख़ातिर
न्योछावर कर देते थे जान को
कैसे लौटा लाऊँ वो विश्वास कि
हर बेटी हो सुरक्षित इस धरती पर
आभा दवे (९-११-२०१७)
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मन के कोमल भावो को
जग की निष्ठुर छाया ने
कर दिया है इतना घायल कि
विकल हो गया मन
ना रह गया है
किसी पर विश्वास
इस तरह जो पहले सिर्फ़
एक राखी की ख़ातिर
न्योछावर कर देते थे जान को
कैसे लौटा लाऊँ वो विश्वास कि
हर बेटी हो सुरक्षित इस धरती पर
आभा दवे (९-११-२०१७)
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