हमारे हाथ में क्या है
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गर चाहे तो इंसान
करले मुट्ठी में आसमान
खुद पर रख *भरोसा*
अपनी मेहनत को बना ले ईमान
पत्थर में से निकाल दे पानी
चट्टान को भी बना दे भगवान
अपने बस में है कर्म करना
और बाद में उसके मीठे फल चखना
उसी में छुपा है कहीं तेरा मान- सम्मान
जिंदगी का स्वाभिमान
फिर न उठे कभी ये प्रश्न
हमारे हाथ में क्या है ....
*आभा दवे*
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