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दौर ऐसा चल रहा
हर किसी को छल रहा
'मैं'की कीमत बढ़ रही
'हमसे' नाता कट रहा
चालाकी का खेल खेलते
लोग हर जगह आज कल
अनाड़ी भी हो रहे खिलाड़ी
अब तो देखो तरह -तरह से
मासूमियत की शक्ल में
खुद को ही इंसा छल रहा।
आभा दवे
3-10-2020
शनिवार
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