Wednesday 7 October 2020

कविता-जीवन-मृत्यु /आभा दवे

 जीवन- मृत्यु

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लेते हैं सब जन्म इस धरा पर

अलग-अलग रूप रंग लिए

सुख-दुख के गगन तले ही
जीवन अपना गुजारते हैं।

जन्म के साथ ही जुड़ जाता है 
एक नाता मौत से भी 
जो अदृश्य रहकर हम सभी के 
संग चलती रहती है और छलती
रहती है।

जीवन - मृत्यु का  ये खेल
जब से दुनिया बनी चला आ रहा
हम सब को जगा रहा ,सुला रहा
कई-कई जन्मों तक भटका रहा ।

*आभा दवे*
1-8-2020 मंगलवार

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