रोशनी/ आभा दवे
---------
जिंदगी सबकी मुस्कुरा रही है
बातों -बातों में खिलखिला रही है
ये नजारा जो रोज देखते हैं हम
आँखों की रोशनी हमें दिखा रही है ।
बचपन से बुढ़ापे तक का सफर करती है ये
जीवन को हर उमंगों से हमेशा भरती है ये
आँखों का मोल जिसने सदा पहचाना है
उसने ही जीवन को अच्छी तरह से जाना है।
रोशनी और प्रकाश ही आँखों के उजियारे हैं
ये ही जीवन जीने के अद्भुत सहारे हैं
अपनी आँखों का सभी करे मान-सम्मान
जो अंधकार को मिटाकर जीवन में भरती जान ।
*आभा दवे*
No comments:
Post a Comment