गुजरे पल /आभा दवे
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यादों के पल जीवन के कुछ खट्टे कुछ मीठे से
धरती से अंबर तक फैला यादों का वो मेला
भीड़ बहुत है वहाँ अपने और परायों की
दिन भर आते -जाते मन पर डेरा डालें ।
हर पल हर क्षण बन जाता है देखो अतीत
मिलते और बिछड़ जाते हैं सब वह मनमीत
यादों की खिड़की से झांकता गुजरा वक्त
सुना देता सुख और दुख का कुछ संगीत।
मन की बगिया कभी हरी कभी बंजर बन जाती
विचारों के उस भँवर में कभी फंस जाती
गुजरे पलों के साए खड़े हैं वहाँ जाने पहचाने
बीती हुई वह जिंदगी कभी किसी के हाथ न आती ।
आभा दवे
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