जीवन
जब बिखर जाय,
तब न डूबो
न उतराओ।
और न
हाथ पाँव मारों
इधर उधर ।
सिर्फ बैठ जाओ
अपनी जगह ।
और समेटो
अपने आप को,
अपनी जिंदगी को
अपनी तरह ।
धीरे धीरे उठो
फिर मत देखो मुड़कर
पीछे की ओर।
जोड़ने की
इस अद्भुत क्रिया में,
सतर्कता को बना लो
अपना साथी,
और धैर्य को
अपना अभिभावक
अपने जीवन में ।
कवि
हौसिला अन्वेषी
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