Saturday 23 November 2019

त्याग लघुकथा /आभा दवे


त्याग
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दिनेश को आज ही ऑफिस से प्रमोशन मिला था। वह सीनियर मैनेजर बन गया था। सीनियर मैनेजर के साथ उसका ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया था। उसके सीनियर मैनेजर बनने पर ऑफिस के  सभी साथी खुशियाँ मना  रहे थे पर दिनेश के चेहरे पर खुशी के साथ मायूसी भी नजर आ रही थी। 

दिनेश के एक साथी ने दिनेश से पूछा -"क्या बात है ?तुम प्रमोशन हो जाने पर भी खुश नजर नहीं आ रहे हो ।" दिनेश ने कहा -"वह खुश तो बहुत है ,उसे उसकी मेहनत का फल मिला पर उसे अपने परिवार की भी चिंता है।" इतना कहकर दिनेश चुप हो गया।
दिनेश के साथी ने कहा -हाँ मैं तो भूल ही गया था ,तुम्हारी माँ  की कैंसर की बीमारी ऐसी है कि उन्हें इस हाल में छोड़ा नहीं जा सकता । अब तक तो तुम्हारा परिवार त्याग करता चला रहा है तो क्या इस बार भी तुम दूसरे शहर  नहीं जाओगे?"

दिनेश ने "हाँ" में सिर हिलाया और बॉस के कमरे की ओर बढ़ गया ।

आभा दवे

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