वृद्ध
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घर की शान बढ़ाते हैं
ये वृद्ध ,बूढ़े और बुजुर्ग
हमसाया बन जाते हैं
यह वृद्ध ,बूढ़े और बुजुर्ग
बचपन कभी सवारां था
इन झुर्रियों भरे हाथों ने
प्रेम से पाला था कभी देकर
दुलार का प्याला
अपना सर्वस्व न्यौछावर करके
गमों में भी मुस्कुराते रहे
बच्चों की खातिर अपना जीवन लुटाते रहे
उनकी खुशी में मुस्कुराते रहे
उनके गमों में आँसू बहाते रहे
वक्त ने छीन लिया अब इनका यौवन
ये बुजुर्ग अब वृद्ध नजर आने लगे
कुछ को मिला घर में सम्मान
और कुछ वृद्धाश्रम जाने लगे
तकदीर का खेल है निराला
बच्चे इनसे नजर चुराने लगे
ये अपने बुढ़ापे से लाचार
खुद से समझौता कर
जीवन अपना बिताने लगे
बस इन्हें थोड़ा सा मान- सम्मान चाहिए
नाती -पोतों का प्यार चाहिए
अपने जीवन के अनुभवों की झोली
विरासत में दे जाएँ ऐसा अपनो का साथ चाहिए
कुछ नही इन्हे बस थोड़ा सा प्यार चाहिए ।
*आभा दवे*
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