सावन की खुशियाँ /आभा दवे
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सावन के आते ही
छा जाती है खुशियाँ
सखियों संग झूला झूलती
शहर,गाँवों की गोरियाँ ।
मेहंदी रचाती हाथों में
रंग बिरंगी ओढ़े चुनरिया
गालों की लाली बतलाती
उनके चेहरों की बोलियाँ ।
आँखों में सपने सजते साजन के
माथे पर होता बिंदी का श्रृंगार
हाथों की चूड़ियाँ पैरों की पायल
पुकारती पिया मिलन की आस।
सावन के बादल प्रीत जगाते
धरती पर हरियाली लाते
फूलों से सजती धरती
झूलों पर गीतों की मस्ती ।
पुरवाई चलती मंद- मंद
लिए साथ बौछारों का संग
तीज -त्यौहार रंग जमाते
आँगन में खुशियाँ भर लाते ।
आभा दवे
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