मुहूर्त /आभा दवे
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हरेक त्यौहार का
होता है मुहूर्त
लोग इस मुहूर्त में
जिंदगी के महत्त्वपूर्ण काम
को करने में लग जाते हैं ।
इंतजार करते हैं उस
शुभ घड़ी का जो
जीवन को खुशियों से भर दे
सारी विघ्न बाधाएं दूर कर दे
और वे गुजार पाएँ सुखी जिंदगी।
पर क्या वाकई उस मुहूर्त का
शुभ फल हरेक को मिलता है?
उस मुहूर्त की घड़ी में अघटित
कुछ नहीं होता है?
इतिहास गवाह हरेक मुहूर्त का
जहाँ छल कपट से छला गया आदमी
और आज भी मुहूर्त के नाम पर ठगा जा रहा।
आभा दवे
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