Tuesday 15 October 2019

कविता -हमसफ़र /आभा दवे

*हमसफर*
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हमसफर मेरे हमसफर
तू जहाँ चले मैं वहाँ चलूँ
तेरी राह मेरी भी राह  है
मंजिल भी मेरी वहीं कहीं ।

थामा जो तुमने हाथ है मेरा
जी उठी फिर से मेरी जिंदगी
लब  गीत गुनगुनाने लगे अब
जिंदगी के फूल मुस्कुराने लगे ।

जो तेरा सहारा मिलता रहा
गुजर जाएगी मेरी जिंदगी
हमसफर तुम पर नाज है मुझे 
तूने सिखा दी जीना जिंदगी ।

*आभा दवे*

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