आत्मबल
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मन की तरल तरंगों में
जब छा जाता है अंधेरा
तभी कहीं दूर एक पुकार
आकर मन से टकराती है
जो मन के ही किसी कोने से
हरदम आती है
वही हमें बताती है कि बाहर नहीं है
तेरी कठिनाइयों का हल
मन के अंदर ही गोता लगाना होगा
अपने आत्मबल को बढ़ाना होगा
अपने विचारों को ऊर्जावान बनाना होगा
न डरना होगा न डराना होगा
बस शांत मन से खुद को सहलाना होगा
खुद के प्रति सम्मान लाना होगा
ईश्वर से प्रेम बढ़ाना होगा
जिसने दिया है एक सुंदर मन
उस मन को दृढ़ बनाना होगा
परमात्मा की विलक्षण और पवित्र कृति
है मानव
जिसे खुद अपने को पहचानना होगा
अपने जीवन का अपमान न कर
विस्मृत हुई आत्मशक्ति को जगाना होगा
आत्मबल को बढ़ा अपनी पहचान खुद बनाना होगा
आत्मा की आवाज़ सुन
मन के आनन्द के सागर में
डूब जाना होगा ।
आभा दवे (7- 12-2017 ) गुरूवार
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मन की तरल तरंगों में
जब छा जाता है अंधेरा
तभी कहीं दूर एक पुकार
आकर मन से टकराती है
जो मन के ही किसी कोने से
हरदम आती है
वही हमें बताती है कि बाहर नहीं है
तेरी कठिनाइयों का हल
मन के अंदर ही गोता लगाना होगा
अपने आत्मबल को बढ़ाना होगा
अपने विचारों को ऊर्जावान बनाना होगा
न डरना होगा न डराना होगा
बस शांत मन से खुद को सहलाना होगा
खुद के प्रति सम्मान लाना होगा
ईश्वर से प्रेम बढ़ाना होगा
जिसने दिया है एक सुंदर मन
उस मन को दृढ़ बनाना होगा
परमात्मा की विलक्षण और पवित्र कृति
है मानव
जिसे खुद अपने को पहचानना होगा
अपने जीवन का अपमान न कर
विस्मृत हुई आत्मशक्ति को जगाना होगा
आत्मबल को बढ़ा अपनी पहचान खुद बनाना होगा
आत्मा की आवाज़ सुन
मन के आनन्द के सागर में
डूब जाना होगा ।
आभा दवे (7- 12-2017 ) गुरूवार
अति सुंदर विचार। मन का ही सारा खेल है।
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