Wednesday 14 October 2020

कविता-नारी शक्ति/आभा दवे

 नारी शक्ति

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नारी शक्ति नारी सृष्टि
फिर भी है लाचार खड़ी
मौन तमाशा देख रही है
घर-घर और गली -गली।

नवरात्रि में पूजी जाती
नौ रूपों में अद्भुत शक्ति
अबोध बालिका देवी स्वरूप
सभी को भाता यह सुंदर रूप।

फिर क्यों होता है इनका अपमान
सहती दुख बालिका खोती मान
अपनों से ही डरती- छुपती रहती
क्या यही है नारी शक्ति का सम्मान?

स्वयंसिद्धा अब बन जाना होगा
खुद का ही सम्मान बढ़ाना होगा
नारी को नारी संग मिलकर ही
शक्ति का दीप हर घर जलाना होगा।

आभा दवे
14-10-2020 
बुधवार

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