Friday 9 October 2020

गांधी जी के बंदर कविता /आभा दवे

गांधी जी के बन्दर
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गांधीजी के तीन बंदर आँखें कैसे मटकाएँ
एक दूजे को इशारे से देखो वो समझाएँ
पहला बंदर आँख बंद करके कहे ये बात
बुरी चीजों को देखकर करो नजरअंदाज।

दूजा बंदर कानों में हाथ रखकर कहे अपनी
बात
बुरी बातों पर मत दो ध्यान, करो हरदम अच्छा काम
तीसरा बंदर मुंह पर हाथ रखकर कहे करो इन बातों का मोल
कभी ना बोलो कड़वे बोल, वाणी में अमृत रस घोल।

आभा दवे
2-10-2020
शुक्रवार



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