Thursday 4 July 2019

हाइकु -अमृत ,पीयूष ,सुधा

हाइकु*- *अमृत, पीयूष,सुधा पर* / आभा दवे 
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1) अमृत धारा 
    मेघ  है बरसाते 
    प्यास बुझाते ।
2) मस्त पवन
    गंगा अमृत पिए 
    खुश होकर ।
3) अमृत गान
    प्रातः की किरणों का 
     हर्षाए मन।
4) पीयूष बूंद 
   धरा पर आ गिरी
   रूप ओस का ।
5) फूलों का रस 
  है भौरों का अमृत
   होते विभोर।
6) सुधा की बेला
   है अक्षय तृतीया 
   मानते सभी ।
7) सागर मथ 
  निकला था अमृत 
   लक्ष्मी प्रकृटी।
8) पी गए विष 
   नीलकंठ हो गए 
   अमृत छोड़।
9) देवता गण 
   पाने को लालायित 
   अमृत रस ।
10) अमृत ,सुख 
     दुख है कांटा सदा 
     जिंदगी यही ।

*आभा दवे*
   

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