पर्यावरण /आभा दवे
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हरी -भरी वसुंधरा का यह क्या हाल हो रहा
कट रहे पेड़ जहाँ-तहाँ और बन रही
गगनचुंबी इमारतें वहाँ
हवा भी रुख बदल रही
प्रदूषण में ढल रही
कार ,बसों की ध्वनि सभी को बेचैन कर रही
बीमारियां मुस्कुरा रही और सभी को छल रही
जल की निर्मलता प्रश्न चिन्ह लगा रही
प्रदूषित नदी भी अब आँसू बहा रही
मूक प्राणी तरस रहे पानी को यहाँ -वहाँ
गाँव की बालाएं भी पानी को तरस रही
बंजर धरती बादलों का मुंह तक रही
मौसम भी बेगाना नजर आने लगा
कहीं तूफान तो कहीं बाढ़ लाने लगा
पर्यावरण में एक अजीब सी तब्दीली आई है
जिसने दुनिया में कहर मचाई है
भूकंप भी रह-रहकर आने लगा
लोगों को आकर डराने लगा
इस ओर सभी को देना होगा ध्यान
पेड़ लगाकर करना होगा धरती का सम्मान
नदियों को निर्मल कर मीठे जल की करनी होगी रखवाली
ताकि किसी के भी घर का घड़ा न हो खाली
आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाना होगा
उज्जवल भविष्य के लिए हाथ बढ़ाना होगा
हवा ,पानी , धरती , जब सभी रहेंगे स्वच्छ
जनजीवन तब नहीं होगा अस्वस्थ
आओ हाथ बढ़ाएँ पर्यावरण को और बेहतर बनाएँ ।
आभा दवे
4-6-2019 सोमवार
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