Saturday 6 July 2019

कविता -योगा पर

योगा / आभा दवे 
----- 
मिलकर करें योगा और भगाए रोग
जीवन में न आने दें कोई रोग
सूर्य- चँद्र का है ये योग 
करें योगा रोज ।

सूर्य को कर प्रणाम
करे सूर्य नमस्कार योग
जो जीवन में उत्साह जगाए
मन में नई उमंगे लाए
आलस को भी दूर भगाए
जीवन में संयम लाए ।

युगो -युगो से बह रही है
योग की धारा
जिसने इस में गोता लगाया
उसने अपने जीवन को महकाया
उज्जवल भविष्य पाया ।

प्राणायाम की महिमा को भी
संतों ने गाया
निरोगी काया में ही
ईश्वर को पाया
त्राटक करके नेत्र ज्योति 
को बढ़ाया ।

ओम का गुंजन मन में आनंद लाए
संगीत जगाए
ईश्वर का अहसास कराए
मन को निर्मल बनाए
शांति की गंगा बहाए 
महक रही योगा की खुशबू
अब तो चँहुओर ।

आभा दवे



No comments:

Post a Comment