ताँका जापानी काव्य की विधा है । जिसका शाब्दिक अर्थ है लघुगीत अथवा छोटी कविता है । इसकी संरचना 5-7-5-7-7=31 वर्णों की होती है । इसमें कुल पाँच पंक्तियाँ होती है । जिसका अर्थ पहली से पाँचवी पंक्ति तक व्याप्त होता है । ताँका से ही हाइकु का उद्भव हुआ है । प्राय: जापानी छंद तांकाँ प्रकृति तथा अध्यात्म से जुड़ा होता है । पर आज के समय में ताकाँ किसी भी विषय पर ताँका लेखन का कार्य हो रहा है ।
ताँका - 5-7-5-7-7
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1) प्रभु दर्शन
बड़े दुर्लभ यहाँ
प्रेम की माया
हरि यशोदा पुत्र
बन के इठलाया ।
2) राधा रानी सी
बनी गई दिवानी
गोपियाँ, कृष्ण
सुरीली बंसी सुन
सुध को बिसराई ।
3) हे गोवर्धन
अब न माने मन
मीरा तोरी रे
दरस को तरसे
सुन पुकार स्वामी ।
4) सखा सुदामा
जगत का आधार
गले लगाया
खुश हो हर बार
सदा साथ निभाया ।
आभा दवे
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