Thursday 4 July 2019

कविता -निशानी

निशानी  /आभा दवे 
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खुद ही  लिखती हूँ 


खुद ही गा लेती हूँ 


अपने स्वरों  में खुद को 


पा लेती हूँ


जो दब गई आवाज़ 


औरों के स्वरों से 


फिर ना कभी हो सकेगी 


मेरी अलग निशानी ।


आभा दवे 

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