प्रेम की आस /आभा दवे
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जाने सभी *कस्तूरी* बसे मन में
फिर भी भाग रहे भटकते ही
अपने आप को ही धोखा देते हुए
खुशी की तलाश में हर पल ही ।
न जाने क्यों और किस की तलाश है
मन में हरदम एक अनबुझी प्यास है
मंजिल पाकर भी दिल क्यों उदास है
शायद हर दिल को प्रेम की ही आस है ।
*आभा दवे*
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