प्रभात -चित्र पर आधारित कविता /आभा दवे
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सूरज पेड़ के बीच मुस्कुरा रहा है
सागर के दर्पण में अपनी
छवि पर इतरा रहा है
फूल कर रहे उसका स्वागत
देखो प्रभात आ गया है
हवा ने भी छेड़ दी है तान
कुदरत खूबसूरत नजर आ रहा है
सूर्य ने अपनी लालिमा
बिखेर दी है चहुँओर
फूल और हरियाली के बीच जीवन
बहुत खूबसूरत नजर आ रहा है ।
आभा दवे
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