Tuesday 13 August 2019

लघुकथा -रक्षाबंधन

लघुकथा /आभा दवे 
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रक्षाबंधन
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मधु ने सुबह उठते ही रितु से कहा -"जरा अपना हाथ तो दिखाना मेहंदी कैसी रची है?" रितु ने फौरन अपना हाथ मधु को  दिखाते हुए कहा- "देखो दीदी, मेरी मेहंदी कितनी अच्छी रची है ।" मधु ने रितु के हाथों को चूम लिया । चौदह वर्षीय रितु अपने से तीन वर्ष बड़ी मधु के गले प्यार से लग गई । माँ के आते ही मधु और रितु दोनों ने एक साथ कहा- "हाँ , हम लोगों को पता है कि आज रक्षाबंधन है और हमें बस थोड़ी देर में तैयार होना है , तीनों साथ में खिलखिला कर हँस पड़ी ।
 
थाली को  राखी कुमकुम ,अक्षत, दीया सभी से सुसज्जित किया गया ।  सभी ने एक दूसरे को रक्षाबंधन की बधाई दी । रितु और मधु ने माँ और पिताजी के हाथ में राखी बाँधी , मिठाई खिलाकर उनका आशीर्वाद लिया । मधु और रितु ने एक दूसरे को राखी बाँधी , उपहार दिए और खुश होकर एक दूसरे को  रक्षा का वचन दिया । 

रितु और मधु के पिताजी ने अपनी बेटियों को गले से लगाते हुए कहा -"रक्षाबंधन का महत्व तुम दोनों  ने बखूबी सिखा दिया ।" रितु- मधु की माँ की आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़े ।



*आभा दवे*

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