लघुकथा /आभा दवे
---------
रक्षाबंधन
-----------
मधु ने सुबह उठते ही रितु से कहा -"जरा अपना हाथ तो दिखाना मेहंदी कैसी रची है?" रितु ने फौरन अपना हाथ मधु को दिखाते हुए कहा- "देखो दीदी, मेरी मेहंदी कितनी अच्छी रची है ।" मधु ने रितु के हाथों को चूम लिया । चौदह वर्षीय रितु अपने से तीन वर्ष बड़ी मधु के गले प्यार से लग गई । माँ के आते ही मधु और रितु दोनों ने एक साथ कहा- "हाँ , हम लोगों को पता है कि आज रक्षाबंधन है और हमें बस थोड़ी देर में तैयार होना है , तीनों साथ में खिलखिला कर हँस पड़ी ।
थाली को राखी कुमकुम ,अक्षत, दीया सभी से सुसज्जित किया गया । सभी ने एक दूसरे को रक्षाबंधन की बधाई दी । रितु और मधु ने माँ और पिताजी के हाथ में राखी बाँधी , मिठाई खिलाकर उनका आशीर्वाद लिया । मधु और रितु ने एक दूसरे को राखी बाँधी , उपहार दिए और खुश होकर एक दूसरे को रक्षा का वचन दिया ।
रितु और मधु के पिताजी ने अपनी बेटियों को गले से लगाते हुए कहा -"रक्षाबंधन का महत्व तुम दोनों ने बखूबी सिखा दिया ।" रितु- मधु की माँ की आँखों से खुशी के आँसू निकल पड़े ।
*आभा दवे*
वाह....राखी की नयी परिभाषा
ReplyDelete