जयगान / आभा दवे
---------------
जय ,जय ,जय का गान करें
अपने भारत का गुणगान करे
संतो और वीरों की भूमि को
अंतिम क्षणों तक सलाम करें ।
उत्तर में हिमालय चमक रहा
दक्षिण में सागर चरण धो रहा
पूर्व - पश्चिम में हवा बह रही है
देश के जय,जयगान की ।
अलग-भाषा अलग-अलग बोली
खेलें मिल कर सब संग होली
बढ़े कदम से कदम मिलाकर
राष्ट्रगान करते सब गाकर ।
*आभा दवे*
No comments:
Post a Comment