Friday 22 November 2019

जयगान /आभा दवे कविता

जयगान / आभा दवे 
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जय ,जय ,जय का गान करें
अपने भारत का गुणगान करे
 संतो और वीरों की भूमि को
 अंतिम क्षणों तक सलाम करें ।

उत्तर में हिमालय चमक रहा
दक्षिण में सागर चरण धो रहा
पूर्व - पश्चिम में हवा बह रही है
देश के जय,जयगान की ।

अलग-भाषा अलग-अलग बोली
खेलें मिल कर सब संग होली 
बढ़े कदम से कदम मिलाकर
राष्ट्रगान करते सब गाकर ।

*आभा दवे*

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