Friday 22 November 2019

रानी मोटवानी की कविता

सफेद बादल
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कभी इतने दूर
कभी इतने पास
अब देखती हूँ
तुम दिखते हो
छोटे बच्चे से,
कुछ देर में
दिखता है कोई रींछ
और फिर कोई 
अलग सा आकार।
आसमान में हर दम
घूमते घूमते देखते हो
हम सबके हाल बेहाल
इकठ्ठी हुई है
कितनी कहानियाँ।
बादल, कब उतरोगे
मेरी खीड़की में
सुनाओगे कुछ कहानियां।

रानी मोटवानी 

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