Monday 1 July 2019

आभा दवे कविता -,इलाज , दवा ,उपचार

*इलाज,दवा, उपचार*
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शरीर है तो रोग है अनंत
करना  होगा उसका अंत
खान-पान पर देना होगा ध्यान
डाक्टर की बातों का करना होगा सम्मान
बचाते हैं वह सभी की जान कोशिश कर
लाखों रुपए हो जाते हैं खर्च इलाज पर
न जाने कहाँ से रोग जकड़ लेता है शरीर
कोई चारा नहीं इलाज के सिवाय ही
दवा -दारू के भरोसे ही चलने लगती है जिंदगी
उपचार कर शरीर को निरोगी तो बनाना होगा
निरोगी काया में सुंदर मन को पाना होगा ।



*आभा दवे*

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