Saturday 6 July 2019

कविता -सूखा पत्ता

सूखा पत्ता / आभा दवे 
---------

बीता था कभी पेड़ो पर जीवन
आज लो वो भी छूट गया
नवपल्लित पत्ते लहराते
फूलों संग वो बतियाते
मुझसे ही दामन छूट गया
मेरा जीवन ही मुझसे रूठ गया
अलविदा कह दूँ इनको जरा
मैं ठहरा सूखा पत्ता 
कभी खुशी के गीत गाता था
पंछी संग मुस्काता था
आज मेरा ही अपना रूठ गया
मेरा यौवन भी अब छूट गया
मैं सूखा पत्ता
वक्त के  बहाव का
अब लौट फिर न आऊँगा
अपनी इन डालियों को
फिर न सहलाऊँगा
दे जा रहा हूँ दुआ
पेड़ तुम अपनी इन डालियों,
नवपत्तो संग खुश रहो
मैं भी था तुम्हारा हिस्सा
बस हरदम ये याद रखो 
वक्त के साए में तुम्हारा ठिकाना है
एक दिन तुम को भी इस मिट्टी में
 मिल जाना है ।



आभा दवे

No comments:

Post a Comment