Friday 5 July 2019

कविता -पिता का प्यार

पिता का प्यार / आभा दवे 
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यादों के साए अब भी मंडराते हैं
मन में एक हूक सी जगाते हैं
जब भी अतीत में झाँकती हूँ
वहाँ पापा की यादें हाथ पकड़े
 खड़ी रहती हैं
कंधे पर उठाए पूरी दुनिया दिखाते वह हाथ
बहुत याद आते हैं
भीड़भाड़ से बचाते गोद लेकर चलते
वह मजबूत हाथ बहुत याद आते हैं
पिता का मौन प्रेम आज भी वही खड़ा है
मेरे बचपन के साथ
जहाँ से पिता ने हाथ पकड़कर चलना सिखाया
इस दुनिया से परिचय कराया 
वो मजबूत हाथ
अब मेरे मन में बस गए हैं 
एक सुंदर अतीत बनकर ।



आभा दवे

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