हाइकु मुक्तक - आभा दवे
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1)छल रही है ,गर्म हवा सभी को, शांत पवन
बेचैन कली ,उपवन रो रहा ,न आए घन
मन तरसे , बिन पानी-हवा के ,जन निराश
लगाए आस, देख रहे आकाश, चुप गगन ।
2) मधुर स्वर , है सागर निकाले , संगीत न्यारा
सूर्य ढलता , संध्या के आगोश में , लगता प्यारा
धरा सुंदर , लालिमा लिए हुए , अनोखी छटा
बिखेरे रंग , चहुँ ओर किरण , रूप तुम्हारा ।
आभा दवे
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